Rashmi Jain

Abstract

5.0  

Rashmi Jain

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ऐ वीर

ऐ वीर

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ऐ वीर 


सरहद पर तू है खड़ा 


इसलिए पूरा देश चैन से सोता है 


सुकून की सांसे लेता है 


है भरपूर जोश 


और मजबूत इरादे 


तोड़ देते हैं ये ग़ुरूर उनका 


जब सर चढ़ बोलता जुनून इनका 


ऐ वीर तेरी ख़ाकी वर्दी पर नाज़ है हमें 


झुक कर तुझे सलाम करता हूँ 


एक बार नहीं बारंबार प्रणाम करता हूँ 


दुश्मनों की ललकार से कौन डरता है भला 


जहां बन के पहरेदार सरहद पर तू है खड़ा 


कर लहू का हर कतरा धरा पर अर्पण 


मन तन सब देश पर समर्पण 


कुर्बान कर अपना सब कुछ 


जीत का झंडा तू लहरा रहा 


भारत माँ का गौरव तू बढा रहा 


धन्य हो तेरी यह काया 


और तेरा यह बलिदान 


अंतिम क्षण तक 



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