ऐ जिंदगी सुन
ऐ जिंदगी सुन
ऐ जिंदगी सुन तुझे अब जीना चाहता हूॅ,
ऐ जिंदगी सुन तुझे अब जीना चाहता हूॅ।
समझते बूझते तुझे हो गयी अब देर है,
लम्हे बचे ही कितने साॅसो की हेरफेर है।
जाम खुशियो के अब पीना चाहता हूॅ,
ऐ जिंदगी सुन तुझे अब जीना चाहता हूॅ।।
सब क्या कहेंगे यही सोचा हर पल दिल ने,
जिंदगी को न दिया खुद की जिंदगी से मिलने।
मेरी रूह जगमगाए वो नगीना चाहता हूॅ,
ऐ जिंदगी सुन तुझे अब जीना चाहता हूॅ।
लगाएंगेअब खुशियो के मेले हमेशा,
हम न जाने क्यो थे अकेले हमेशा।
टूटते जज्बातो को अब मै सीना चाहता हूॅ,
ऐ जिंदगी सुन तुझे अब जीना चाहता हूॅ।
क्यो ना देख पाए जिंदगी हम हसीन पहलू तुम्हारा,
आंख-मिचौली सुख-दुख से पर जिया सिर्फ दर्द सारा।
दुख का भी एहसास सुख हो वो मदीना चाहता हूॅ,
ऐ जिंदगी सुन तुझे अब जीना चाहता हूॅ।
काल रथ अनवरत बढ रहा कब मंजिल मिल जाएगी,
नही जानते कब जीवन की ये धरती हिल जाएगी।
कैसे जी लूॅ हर पल बस वो करीना चाहता हूॅ,
ऐ जिंदगी सुन तुझे अब जीना चाहता हूॅ।