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Anjali Sharma

Abstract

2.4  

Anjali Sharma

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अगर मैं होती

अगर मैं होती

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अगर मैं होती सोन चिरैया

फुदकती तुम्हरे अंगना

अगर मैं होती माटी गुड़िया

सोती तुम्हरे आँचल माँ

अगर मैं होती उड़ता बादल

बरसती तुम्हरी बगिया

अगर मैं होती मोहक चंदा

रोज़ ताकती घर माँ

अगर मैं होती छोटी मुनिया

सोती तुम्हरे पलना 

अगर मैं होती चाँद पायलिया

बजती तुम्हरे पग माँ

आओ मुझे सुला दो फिर से

देकर मीठी थपकी

मेले से दिलवा दो फिर वो

सुन्दर माला फिरकी

बाँह पसारे बाट जोहती

पहने सोन बेड़ियाँ

सूख गए अश्रु भीअब तो

किसे कहूँ निज घर माँ

बेटी बहु मां बहन कहाऊं

और गृहलक्ष्मी अन्नपूर्णा

फिर भी रही परायी

न ये घर न वो मेरा अपना

कहीं किनारे बन कुटिया में

कर लूं रैन बसेरा

शायद पा जाऊं वो स्वर्ग द्वार

जहां स्वीकार्य स्वरूप हो मेरा।


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