STORYMIRROR

प्रवीण कुमार शर्मा

Abstract

4  

प्रवीण कुमार शर्मा

Abstract

अगर हृदय हो जाये अवधूत

अगर हृदय हो जाये अवधूत

1 min
224

जीवन छोटा सही

नसीबा खोटा सही।

हम फिर भी जिंदादिली

दिखाएंगे उस शैतान को।

शैतान ही बना देता है

जानवर इंसान को।

इस दुनिया में अकेले ही आये थे

अकेले ही जायेंगे।

जो लिया वह यहीं से लिया

जो देना है वह यहीं देना है।


हम बेवजह फंस जाते हैं

शैतान के मायाजाल में।

हम वंदे हैं उस परवरदिगार के

यह हम भूल जाते हैं

मोह के बंधन में फंस जाते हैं।


मेरा भी प्रण है

शैतान को हराना है।

प्रेम से दुनिया को करना है अपने वशीभूत

मोह को करना है पराभूत

मोक्ष भी आसान हो जाता है

अगर हृदय हो जाये अवधूत।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract