अधूरा साथ
अधूरा साथ
जिन्दगी ये मेरी कोई शीशा नहीं
खेलकर तोड़ दो है खिलौना नहीं
वर्षों लगी हैं मुझे सजाने में इसे
छोड़कर जाऊँ कोई है मकाँ नहीं
बेवजह तुम बनें जिन्दगी यूँ रहे
साथ मेरे करते खिलवाड़ क्यों रहे
हम तो अकेले थे बने रहने देते
अधूरा साथ मुझको देते क्यों रहे।
