अच्छाई बनाम बुराई पे कविता
अच्छाई बनाम बुराई पे कविता
अच्छाई का बोझ बहुत होता है,
लेकिन बुराई के बोझ से काफी हल्का होता है।
अच्छाई की नीव पर बुराई फलती - फूलती बहुत है,
पर जब बुराई की धूल झरती है तो पूरा आसमान साफ़ हो जाता है,
अच्छाई के दामन में बेबसी तो बहुत आती है,
लेकिन जल्दी ही छठ जाती है।
इसीलिए सच्चाई का दामन न छोड़े,
यह रास्ते कट जाएंगे,
मंज़िल देर से ही सही मिल जाएगी।