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Sajal Shrivastava

Abstract

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Sajal Shrivastava

Abstract

अच्छा लिखने का राज़ तेरी बेवफाई

अच्छा लिखने का राज़ तेरी बेवफाई

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अच्छा लिखने के लिए बुरा

अंजाम मांगती है कलम


लिखने ज़रा बैठो तो तुम

जान मांगती है कलम


दिल को जो छू जाएं लिखी बातें तो

इनाम मांगती है कलम


अच्छा लिखने का राज़ तेरी बेवफाई

तेरा एहसान मानती है कलम


मज़हब देखकर चला नही करती

दिवाली में रमज़ान मांगती है कलम


जितना कमाया उतने में खुश हूँ

झूठ है कि.....

पैसे के लिए काम मांगती है कलम


नशा जो चढ़ता मुझे लिखने का

तो पहले जाम मांगती है कलम


यूँ ही दिन तो ढल नहीं जाता

सूरज से शाम मांगती है कलम


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