एक ज़माने से ( सजल )
एक ज़माने से ( सजल )
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ठहर नही पा रहे है हम, एक ज़माने से
फुर्सत नही वक़्त को हमें आज़माने से
जाना नही चाहता है घर से कोई दूर कभी
मजबूरियां ले जाती है दूर इक बहाने से
सच्चे आशिको के हाथ, बस आते है आंसू
तोली जाती है लड़की पैसे से,आशियाने से
कबूल नही उसको तुम, तो आगे बढ़ो
जवाब नही बदलेगा सवाल दोहराने से
इश्क में डूबना है सब को क्या करें हम
समझता नही कोई, अब समझाने से
टूटे दिल वालों हुजूम लगता था वहाँ पहले
अब हर नस्ल निकल रही है अब मयखाने से
हर आशिक की यही कहानी रहती है यार
हबीब दूर चला जाता है ज़रा सा पास जाने से।
