अब नई धुन
अब नई धुन
एक धुन नई सुनाता हूं
भारत का गीत गाता हूं
ख़ूब रोये है,
ख़ूब आंसू खोये हैं
अब आंसूओ का सैलाब लाता हूं
ख़ूब घूस दी है
ख़ूब भ्रष्टाचार सहा है
अब में राग भैरवी गाता हूं
गद्दारों से गिरा रहा हूं
अपनों से दूर रहा हूं,
अब गद्दारों को देश से भगाता हूं
धुनें मेरी चाहे हो टूटी फूटी है
पर दुश्मनों की तोड़ेगी ये भृकुटि है
अपने शब्दों से ही,
आज में शत्रुओं को जलाता हूं
अब औऱ न सहेंगे अत्याचार
असत्य पर करेंगे हम प्रहार,
अब सबके हृदय के सत्य को जगाता हूं
ख़ुद बन दीपक देश का तम मिटाता हूं
जब तक रहेगी, ये जिंदगी मेरी,
तब तक भारत माँ के लिये में,
अपनी जान दांव पर लगाता हूं।
