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Saanvi Chopra

Drama

5.0  

Saanvi Chopra

Drama

आज़ादी का फरिश्ता

आज़ादी का फरिश्ता

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जंग छिड़ गई आज़ादी की,

बस हो गयी बर्बादी की।

२ अक्टूबर को आया एक फरिश्ता,

देश की आज़ादी से बना रहा था रिश्ता।


साउथ अफ्रीका २० साल

बिता कर यह जान लिया

कि अंग्रेजों ने हिंदुस्तान के साथ

क्या क्या है किया।


बिन लड़े आज़ादी पाएंगे,

अंग्रेजों को हिंदुस्तान से भगाएंगे।

बहुत बोलने पर

अंग्रेज़ सरकार न मानी।


पर देश को आज़ादी है देनी,

उन्होंने थी ठानी।

जंग छिड़ गयी आज़ादी की,

बस हो गयी बर्बादी की।


हो गया अंग्रेजों का

हिंदुस्तानी अख़बार,

हो गया अंग्रेज़ों का

यह पूरा संसार।


नमक पर टैक्स लगाया,

लोगों को दुखी कराया।

फिर गाँधी ने की

डांडी मार्च लोगों के साथ

समुंद्र में डाले अपने हाथ।


पानी सुखाकर नमक निकाला,

अंग्रेज़ों का काम तमाम कर डाला।


जंग छिड़ गयी आज़ादी की,

बस हो गयी बर्बादी की।


हिन्दुस्तानियों को अंग्रेज़

उनकी चीज़ें खरीदने को कहते,

इस तरह वो कमाते

और हम सहते।


लिया फिर उन्होंने

भगवान का अवतार,

न किया वार,

पर न मानी हार।


अंग्रेजी चीज़ें न इस्तेमाल करने की

यह बात लोगों को बताई ,

इस तरह उन्होंने

स्वदेशी मूवमेंट चलाई।


कई आंदोलन किए,

और कई साल बीत गए ,

फिर आखिर अंग्रेज़ हारे

और हम जीत गए।


अंत में गोली खाकर

शहीद हो गया वो फरिश्ता ,

जो देश की आज़ादी से

बना रहा था रिश्ता।


जंग छिड़ गयी आज़ादी की,

बस हो गयी बर्बादी की।




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