आरती करें विधि विधान
आरती करें विधि विधान
भर रही गोद भारती,देकर तन मन प्राण।
बदले कुछ ना माँगती,रखती सबका मान॥
जन्मभूमि को मानिए, ईश्वर का वरदान,
सौ सर कटा कर समझो, मिला है अभय दान।
चलो उतारें आरती, करते हैं गुणगान।
हर विधि से हम पूजते, मन में है सम्मान॥
दीवाने घर छोड़ के, जाते चरणों बैठ।
शीतल तेरी छाँव माँ, सबके मन में पैठ॥
जननी सी करती रही, रही हमें तू पाल।
देव भी गोद चाहते,आए हैं गोपाल॥