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Padma Verma

Abstract

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Padma Verma

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" आपका बचपन"

" आपका बचपन"

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बचपन कैसा भी रहा हो आपका,

यादगार तो रहता ही है,

बचपन के दोस्त यार जेहन में

समाए रहते हैं।

वे भुलाए नहीं भूलते।


आपके बचपन की किस्से अच्छे हो या बुरे ,

हर फुर्सत के पल उन्हीं से घिरे रहते हैं,

उम्र का कोई भी दराज हो ,

हमेशा अपने बचपन के किस्से सुनाते हैं,

जिससे आन्नद की तृप्ति मिलती है।


वो आम के पेड़ पर झूला झूलना,

पत्थर मारकर दूसरे के बगीचे से आम तोड़ना , 

सुन्दर सुगंधित फूलों की चोरी करना,

गिरे हुए कदंब को चुनना,

>गिल्ली डंडे से दूसरों के शीशे फोड़ना ।


आज मन को बड़ी अन्नदित कर जाते हैं।

आपके बचपन का दुश्मन बड़े होकर 

गहरा दोस्त बन जाता है।

बचपन में साथ खेले हुए कुछ 

लड़का - लड़की आपके जीवन साथी बन बैठते हैं।


आपके बचपन के धूप - छाॅंव का

प्रकाश आपके पूरे जीवन पर पड़ता है।

आपका बचपन आपके जीवन पर अमिट छाप छोड़ता है।

आपका व्यक्तित्व उसी के अनुसार निखरता है।

इसीलिए तो आपके बचपन के स्कूल,दोस्त ,

वातावरण और परवरिश अच्छी और सुगढ़ होनी चाहिए।


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