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हरि शंकर गोयल

Inspirational

4  

हरि शंकर गोयल

Inspirational

आक्रोश

आक्रोश

2 mins
541


जब जब सत्ताधीशों ने अन्याय किया है 

तब तब समाज में आक्रोश पैदा हुआ है 

वक्त पर आक्रोश भी बहुत जरुरी होता है 

आक्रोश के अभाव में "चीरहरण" होता है 

दुर्योधन की निर्लज्जता पर भीष्म चुप रहे 

तब आक्रोश ना कर सब सहन करते रहे 

"महाभारत" की नींव उसी दिन पड़ गयी 

इसी कारण गांधारी की कोख उजड़ गयी 

श्रीराम ने सागर से अनुनय विनय की थी 

मगर सागर ने कहां उनकी बात रखी थी 

जब प्रभु ने अपना आक्रोश व्यक्त किया 

तब सागर ने भी रस्ता देने का जतन किया 

शिशुपाल की निरंकुशता बेहद बढ़ गयी थी 

भरी सभा में श्रीकृष्ण की बेअदबी की गयी थी 

एक सीमा तक सहनशीलता अच्छी लगती है 

उसके बाद में फिर आक्रोश की जरूरत होती है

सौ गालियां सुनकर भी श्रीकृष्ण मुस्कुराते रहे 

धैर्य का परिचय देकर शिशुपाल को चिढ़ाते रहे 

101 वीं गाली पर सुदर्शन चक्र छोड़ दिया 

दंभी शिशुपाल का दंभ पल भर में तोड़ दिया । 

सत्ता के नशे में जब लोकतंत्र का गला घोंट दिया

देश पर तानाशाही ने तब आपातकाल थोप दिया

"अभिव्यक्ति की आजादी" जेल में बंद कर दी गई

जनता की हालत गुलामों से बदतर कर दी गई 

जबरन नसबंदी ने आग में घी डालने का काम किया

अन्याय की ठोकर तले आक्रोश पनपने को मजबूर हुआ 

आखिर जनता का आक्रोश समय पर रंग लेकर आया 

तब तानाशाहों को जनता ने गजब का सबक सिखाया 

जब जब भी अन्याय अपना रौद्र रूप दिखायेगा 

तब तब आक्रोश उसके सामने खड़ा नजर आयेगा 

अन्याय रूपी बीज की फसल होता है आक्रोश 

समय पर बहुत जरुरी होता है साहब, आक्रोश ।


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