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Aditya Sharma

Romance

4  

Aditya Sharma

Romance

आखिर कहाँ नहीं तुम हो

आखिर कहाँ नहीं तुम हो

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आखिर कहाँ नहीं तुम हो

देखूं जहाँ तुम ही तुम हो

भीड भाड मे शांत गलियों मे

नुक्कड़ो चौराहो मे

आखिर कहाँ नही तुम हो।


मेरी मुस्कराहटों में

मेरी बेचैनियों में

खामोशियो में, सन्नाटों में,

बिन बोले अल्फाजों में

कश्तियों में किनारों में

लहरों में पतवारों में

आखिर कहाँ नहीं तुम हो !


बारिश की हर एक फुहार में

मेरी आस में मेरे प्यास में

जीवन के हर इक अहसास में

बसंत में बहार में,

इस पतझडी संसार में

आखिर कहाँ नहीं तुम हो !


गीत में मेरी मीत में

जिन्दगी के हर एक संगीत में

मेरी कविताओं में कहानियों में

मौजों की सारी रवानियों में

आखिर कहाँ नहीं तुम हो !


मेरे साये में मेरे अख्स में

मेरे आइनों में पैमानों में

फसानों में अफसानों में

मेरे शहर के मयखानों में

आखिर कहाँ नहीं तुम हो !


मेरी लोच में मेरी सोच में

मेरे मन के स्लीपर कोच में

नजर में नजारों में,

हजारों में फब्बारों में

मेरे हर रंग में,

चढ़ी मुझ पर तेरी भंग में

आखिर कहाँ नहीं तुम हो !


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