आखिर ऐसा क्यों होता है
आखिर ऐसा क्यों होता है
आखिर ऐसा क्यों होता है
के हम भूल जाते है प्रकृति माँ को
भूल जाते है के यह प्रकृति ही है,
जिसने संभाले रखा है इस सृष्टि को
घने शीतल छांव में सुरखित है हम।
फिर भी क्यों हम संभाल नहीं पाते
आज प्रकृति भी रुष्ट हो गयी हमसे
दुनिया भर में है हाहाकार,
न जाने कब मिले इसका प्रतिकार।
सब मिलके करे हम अंगीकार,
के फि रसे लौटाएंगे प्रकृति को उसका स्थान
देंगे उसे फिर से सम्मान।