आजादी की तस्वीर
आजादी की तस्वीर
आजादी की तस्वीर,
मुझे कुछ और ही नज़र आती है,
कहूँ तो भी कैसे,
कहूँ जुबां रुक जाती है।
भूख के मारे हर गरीब,
नंगा सड़कों पे सोता है,
तब सोचता हूँ मैं,
क्या आजाद भारत ऐसा होता है।
अपना देश का जो किसान,
फसल का बीज बोता है
दाना-दाना बेच कर,
खुद ही भूखा सोता है।
सुबह का जब अखबार खोलूँ,
हर नयी खबर आती है,
देखकर यह तस्वीर भारत की,
रुह भी कांप जाती है।