आजादी का परचम
आजादी का परचम
जंजीरें तोड़ हमने आजादी का परचम लहराया
होंठों पे मुस्कान, दिल में सुकून समाया
मन ने अपनी कहानी शुरू की
ए दोस्त, मेरी जंजीर तो टूटी नहीं है
शरीर हुआ है आजाद, मन को बांधा हुआ है आज भी
सोच अपनी आजाद करो, जंजीरों को तोड़ के
आजादी का तब फहराओ परचम
हर दिन फिर होगा आजादी का दिन।