छोटा सा फूल
छोटा सा फूल
हूँ तो मैं एक छोटा सा फूल
बना देते तुम मुझे चरणों की धूल
आओ सुनाऊं अपनी ज़ुबानी
तुमको तुम्हारी निर्दयता की कहानी
पौधे को बनाया अपना बसेरा
सूरज को देख हो मेरा सवेरा
खिल जाऊं मैं उसे देख कर
मुरझाऊँ जब हो अंधेरा
बारिश की बूंदों में नहाऊँ
मस्त पवन में नाचता रहूँ
तारों की टिम टिम देख
मंद मंद मैं मुसकाऊँ
लेकिन तुम ना यह सब देख सके
कर दिया अलग मुझे पौधे से
कभी चढ़ाया चरणों पे
तो कभी सजा दिया सेज पे
मुझसे मेरा अस्तित्व छीना
मुरझाया ..तो झट से बाहर फेका
क्या बस इतना ही था प्यार तुम्हारा ?
जीवन से क्यों मेरे तूने खिलवाड़ किया?
टुकड़े टुकड़े कभी कर तूने
दूसरों पर खूब बरसाया ...
एक बार तनिक ना यह सोचा
कि कितना दर्द मुझे हुआ होगा?
खुश था मैं अपने जीवन में
मग्न था अपनी हरी भरी दुनिया में
लेकिन तुमने एक ही झटके में
सबकुछ मेरा उजाड़ दिया
आज पड़ा मैं इस ज़मीन पर
कहलाता ......धरती का धूल
ऐ इंसान न रहने दिया तूने मुझे
एक हंसता हुआ छोटा सा फूल।
