आजाद रहूँगा मैं
आजाद रहूँगा मैं
एक हुजूम लगा है आजादी को छूने का,
हर एक परिंदा कोशिश में लगा है
मैं अपनी आजादी हासिल करने को,
कुछ इस अंदाज में कोशिश करूँगा
जिस दिन तेरे जलालत पर जोर-जोर से हसूँगा,
उस दिन आजाद रहूँगा मैं
जिस दिन तेरे जज्बातों को पिंजरे में कैदकर दूँगा,
उस दिन आजाद रहूँगा मैं
जिस दिन तेरे साँसों पे चढ़कर ताण्डव करूँगा,
उस दिन आजाद रहूँगा मैं
जिस दिन तेरे अल्फाजों को दबाकर तुम्हें चुप कर दूँगा,
उस दिन आजाद रहूँगा मैं
जिस दिन तेरे हलक को खेंचकर, तुम्हें गूँगा बना दूँगा,
उस दिन आजाद रहूँगा मैं
जिस दिन तेरे आँखें नोंचकर, किसी को दान करूँगा,
उस दिन आजाद रहूँगा मैं
जिस दिन तेरे हरे-लाल रंग का हिसाब कर दूँगा,
उस दिन आजाद रहूँगा मैं
जिस दिन सड़क पे पड़े लाल लहू को धो दूँगा,
उस दिन आजाद रहूँगा मैं
जिस दिन तेरे पैर मरोड़कर, तुम्हें अपंग बना दूँगा,
उस दिन आजाद रहूँगा मैं
जिस दिन तेरे प्रेमभूत रंग पे पिशाब कर दूँगा,
उस दिन आजाद रहूँगा मैं
जिस दिन तेरे बहकते रवानी छीनकर, तुम्हें पंखे से लटका दूँगा,
उस दिन आजाद रहूँगा मैं
जिस दिन तेरे वहशीपना को सरे बाजार नंगा कर दूँगा,
उस दिन आजाद रहूँगा मैं
जिस दिन तेरे शातिर मुखौटे को खंजर से कत्ल कर दूँगा,
उस दिन आजाद रहूँगा मैं
जिस दिन तेरे रुके कलम उठाकर,
मैं लिखना शुरू कर दूँगा,
उस दिन आजाद रहूँगा मैं
हाँ, उस दिन आजाद रहूँगा मैं ।