आईना
आईना
लिखता हूँ मैं जो वो मेरे दिल कि आवाज है
मेरा लिखा जो पढ़े कोई खुश तो कोई नाराज है
यहाँ बात सच की हो रही है जनाब
झूठों का कोई काम नहीं
कुछ है सच बोलने वाले यहाँ लेकिन
उनका कोई नाम नहीं
झूठ कंधे पर उठाया जाता है
सच पैरों तले छुपाया जाता है
झूठों का झूठ सच साबित करने को
बुलाते है सब सच बोलने वाले को
झूठ का बाज़ार हर तरफ दिखता है
सच न जाने कहा जा के बिकता है
हमने भीड़ में उतारे झूठ के नकाब
हम सच्चाई को रोक न पाए
हम तो आईने में खुद को देख रहे थे जनाब
आप क्यों अपना सर बीच में ले आए।