आईना हूँ मैं,
आईना हूँ मैं,
आईना हूँ मैं, सच्चाई का दर्पण,
रूप रंग, छवियाँ, सब कुछ मेरे पास हैं।
चेहरे की मुस्कानों में, छुपा दर्द दिखाता हूँ,
आँसुओं की बूँदों में, ख्वाबों की कहानी सुनाता हूँ।
बदलता रहता हूँ, साथी हर मौसम का,
अपनी कहानी, हर नये सवेरे में बयां करता हूँ।
कांपती रातों में, जब तारे छुपे हों,
आईने के सामने, ख्वाबों की बातें करता हूँ।
चेहरे की गहराइयों में, छुपा एक अनजान सा राज,
कहानियों को बोलता हूँ, हर बार नए आयाम से।
चेहरे की हर मुस्कान में, छुपा एक दर्द,
आईने के सामने, सच्चाई का सफर ताय करता हूँ।
जो कुछ भी हूँ, वह आईने में है,
मेरे अंदर की दुनिया, जो हर रोज बदलता हूँ।
आईना हूँ मैं, सच्चाई का दर्पण,
रूप रंग, छवियाँ, सब कुछ मेरे पास हैं।
रात की गहराइयों में, जब सिर्फ अंधेरा हो,
आईने के सामने, सपनों की रौशनी बनता हूँ।
आईना है मेरा साथी, मेरी रौशनी का दर्पण,
छुपे हैं राज, ख्वाबों के मन का छोटा सा दर्द।
रूप रंगों की कहानी, हर बार नई होती है,
आईने में ही मैं, अपनी कहानी बयां करता हूँ।
आँधी में भी, जब हवा चले सहम के
आईने के सामने, मैं खुद को आजमाता हूँ।
चेहरे की मुस्कान, और आँसुओं का सफर,
आईना बताता है, कैसे बदलता है मेरा चेहरा।
जीवन के हर पड़ाव में, जब लोगों की भीड़ है,
आईना ये सिखाता है, कैसे हकीकत में मैं सही हूँ।
सपनों की उड़ान में, जब खो जाता हूँ मैं,
आईने के सामने, मैं अपनी उंचाइयों को छू जाता हूँ।
आईना है मेरा साथी, मेरी जीवन यात्रा का साक्षी,
छुपी हर बात, मैं आईने के सामने ही खोलता हूँ।