आगे की सोच
आगे की सोच
अभी कुछ बदला है, अभी और बदलना है
सवेरा होने तक अँधेरे में, अभी और चलना है।
कल जिस परेशानी में उदास हुआ था मैं ,
अभी तो कल उसके हल से मिलना है।
ज़माने की आदत है, जख्म देते है , एक के बाद एक,
नए जख्मों से पहले , अभी पुराने जख्मों को सिलना है।
क्यूँ न उठूँ मैं गिरने के बाद , एक बार फिर ,
न जाने कितने सीढ़ियों से, मुझे अभी फिसलना है।
ठहर जाओ , ठहर जाओ ,
क्यूँ समझ लिया की मैं हार गया हूँ ,
अरे अभी तो मुझे तूफानों से निकलना है।
माना की बेचैन हूँ मैं, माना की हैरान हूँ मैं,
पर इन्हीं बेचैनियों, इन्हीं हैरानियों, में तो मुझे पलना है।
अभी कुछ बदला है, अभी और बदलना है
सवेरा होने तक अँधेरे में, अभी और चलना है।