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सतीश मापतपुरी

Abstract

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सतीश मापतपुरी

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आदमी

आदमी

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विधि ने उसके हाथ में बहिश्त रख दिया,

पर  कपट का बुनता  रहा जाल आदमी।



मर  गया हो  जो  उसे जिला  नहीं सके,

पर  कजा का  बन गया  दलाल आदमी।


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