पर कजा का बन गया दलाल आदमी। पर कजा का बन गया दलाल आदमी।
उजड़ा-उजड़ा चमन भीगा-भीगा हर नयन। उजड़ा-उजड़ा चमन भीगा-भीगा हर नयन।
मंडी या दलाल गिरी, माफ़ियों की घेराबंदी, कॉर्पोरेट का सत्यानाश करो, मंडी या दलाल गिरी, माफ़ियों की घेराबंदी, कॉर्पोरेट का सत्यानाश करो,
मौत और श्मशान में दलाल जी रहे हैं गरीब अमीर आंसू में मलाल पी रहे हैं मौत और श्मशान में दलाल जी रहे हैं गरीब अमीर आंसू में मलाल पी रहे हैं
अन्नदाता देश का जब दुखी होगा, तो कल्याण कैसे कहां किसका होगा। अन्नदाता का जब हाल फकीर सा होगा, ... अन्नदाता देश का जब दुखी होगा, तो कल्याण कैसे कहां किसका होगा। अन्नदाता का जब...