आधुनिक समाज
आधुनिक समाज
जहां जाति-धर्म की कोई न बात हो
जहां ऊंच-नीच का कोई न हिसाब हो
ऐसा हमारा आधुनिक समाज हो।
जहां दया-धर्म की भरमार हो
समता- समानता जिसका आधार हो
ऐसा हमारा आधुनिक समाज हो।
जहां प्रेम-बंधुत्व की बहती रसधार हो
हर किसी का हर किसी से प्यार हो
ऐसा हमारा आधुनिक समाज हो।
सत्य-अहिंसा जिसका अलंकार हो
जहां नफरत की बहती न बयार हो
ऐसा हमारा आधुनिक समाज हो।
जहां भूखा-नंगा कोई न इंसान हो
हर किसी की रोजी-रोटी का इंतजाम हो
ऐसा हमारा आधुनिक समाज हो।
जहां रूढ़ियों का काम तमाम हो
स्वस्थ- सुखी हर इंसान हो
ऐसा हमारा आधुनिक समाज हो।