ख्वाब देखने की हिम्मत
ख्वाब देखने की हिम्मत
यह कहानी गुजरात के वडनगर गांव के एक छोटे बच्चे की है। कैसे उस बच्चे ने एक सपना देखा और उसे पूरा करने केलिए कठोर परिश्रम किए।
गुजरात के वाडनगर गांव मे एक परिवार रहता था। उनका एक बेटा था छोटू। उसके पापा की एक चाय की दुकान थी, छोटू भी उनकी दुकान पर काम किया करता था। देखते-देखते उसने अपनी एक चाय की दुकान खोली। उसे महीने के पच्चास रूपये मिलते थे। फिर भी वह ताज होटल में जाकर बत्तीस रूपये की चाय पीता था।
लोग उससे पूछते थे,
"छोटू, तू महीने के सिर्फ पच्चास रूपये कमाता है और उसमे से बत्तीस की चाय पीता है, तो अट्ठारा रूपया में महीना कैसे निकलेगा?"
उसपे छोटू बस एक ही जवाब देता था,
"महीना कैसे भी निकाल लूँगा मगर मुझे भी देखना है कि वह चाय में ऐसा क्या है जो सिर्फ अमीर लोग ही उसे पीते है।"
वह छोटू अपने आठवें वर्ष मे RSS से वाकिफ हुआ। RSS एक संघ है जो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नाम से जाना जाता है, जो २७ सेप्टेम्बर १९२५ में स्थापित हुआ था। वह अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद अपने घर से चले गए थे। आधा कारण तो उनका माता पिता द्वारा तय की गयी शादी है, जिससे वह राजी नहीं थे। फिर दो साल तक वह भारत देश के चक्कर लगाते रहे और अनगिनत धार्मिक केंद्र भी देखे। उसके बाद वह वापिस गुजरात आकार अहमदाबाद में स्थानान्तरित हुए। लगबग १९६९ या १९७० में। फिर RSS ने उन्हे एक राजनैतिक दल को सोंपा, जिसमे वह बहुत सारे पढ़ावो पे काम करने लगे। उस वक्त उन्होंने देश को बदलने की मनचाहा रखी और उस सपने को पूरा करने के लिए चलने लगे। उन्हे बहुत सारी कठिनाई आई मगर उन्होने सबका सामना किया और आगे निकल पड़े।
जिस चाय बेचने वाले छोटू ने देश बदलने की मनचाहा रखी उससे आज हम श्री नरेंद्र मोदी जी के नाम से जानते हैं, और उनके राजनैतिक दल को हम भरतीय जनता पार्टी के नाम से जानते हैं।
सोचो अगर उस समय उन्होंने यह सपना ना देखा होता तो क्या आज हमारा देश इस मुकाम पर होता? अगर एक मामूली चाय बनाने और बेचने वाला देश बदलने जैसा बड़ा सपना देख कर उससे पूरा करके लाखो, करोड़ो लोगों कि जिन्दगी बदल सकता है, तो क्या हम एक सपना देखकर अपनी खुदकी जिन्दगी नहीं बदल सकते?
तात्पर्य : अगर ख्वाब देखने की हिम्मत रखते हो, तो उसे पूरा करने के लिए मनचाहा और अत्मविश्वास भी रखो।