भारत की जनजाति
भारत की जनजाति
संघर्ष से शिखर तक का सफर
हमारा देश विविधताओं में एकता के लिए जाना जाता है यहां विविध संस्कृतियों भाषाओं की प्रधानता है वहीं दूसरी तरफ राज्यों के विकास से पूर्व जनजातियों का अस्तित्व था जिनका जीवन संघर्षों से भरा था, कोई उनको नहीं पहचानता था, बस संविधान में किए गए विशेष प्रावधान थे,
पर कुछ जनजातियों को ही संवैधानिक और वैधानिक मान्यता प्राप्त थी।
ऐसे में उन लोगों की पहचान नगण्य थी पर कहते हैं न जहां लक्ष्य दृढ़ हो और विश्वास पक्का तो बड़ी से बड़ी मंजिल प्राप्त की जा सकती है हां दोस्तों वहां की बेटी ने वो कर दिखाया जो कोई न कर पाया।
अनेक संघर्षों से भरा उनका जीवन था ऐसे में उनके जीवन में घटी अनेकों दुखद परिस्थितियों में बड़े से बड़े इंसान अपना विवेक खो देते हैं ऐसे में उन्होंने बड़ी बहादुरी से अपनी एक पहचान बनाई लोगों को शिक्षित किया आध्यात्मिक जीवन से जुड़ी अपनी पहचान बनाई।
और वो कोई और नहीं बल्कि वो है हमारी दीदी द्रौपदी मुर्मू जो आज भारत के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति के लिए निर्वाचित की गई है आज देश का सीना गर्व से चौड़ा हो गया और लोगों के चेहरे खिल उठे क्योंकि उन्होंने इतिहास रच दिया।
एक सामान्य परिवार की महिला जिनका जीवन समाज की सेवा में समर्पित था आज वो देश की बागडोर संभालेंगी सचमुच एक बार इंसान कुछ ठान लें तो कुछ भी मुश्किल नहीं।
और वो आज के समाज को एक संदेश देती है कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी विकट क्यो न हो खुद को मजबूत रखो हिम्मत से काम लो और डटकर उनका सामना करो फिर देखो मंजिल तुमसे दूर नहीं.....।
