श्रीमद्भगवद्गगीता पर आधारित मेरी कहानी...।
श्रीमद्भगवद्गगीता पर आधारित मेरी कहानी...।
श्रीमद्भागवत एक पवित्रतम ग्रंथ है जिसमें श्रीकृष्ण ने कुरूक्षेत्र में गीता का उपदेश अर्जुन को सुनाया था इसमें कर्मयोग ज्ञानयोग और भक्तियोग का अनुपम वर्णन किया गया है इसलिए श्रीमद्भागवतगीता न केवल हमारे जीवन को बल्कि हमारे अंतर्मन को पवित्र करती है तभी तो न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी यह लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है,
जिस प्रकार अर्जुन अपने ही परिवार के साथ युद्ध करने के लिए तैयार नहीं हुआ तब उनके सखा श्रीकृष्ण ने उन्हें कर्म की महता का प्रतिपादन किया ठीक उसी प्रकार मेरी दशा भी कुछ ऐसी ही थी...
परिवार साथ होकर भी साथ नहीं था और मैं अकेले परिवार से अपने सपनों के लिए नहीं लड़ सकती थी तब मेरा मार्गदर्शन मेरे गुरु मेरे सखा ने किया उन्होंने मुझे अपनों के सामने अपनी बात रखने की हिम्मत दी मुझसे कहा -
"यदि तुम्
हारा उद्देश्य सही है तो तुम्हारे द्वारा किया गया कार्य भी उचित है, भले शुरू में वो सबको तकलीफ देगा पर बाद में उसका उचित फल तुम्हें अवश्य मिलेगा।"
लेकिन किसी भी कार्य को करने से पहले आत्ममंथन अवश्य करना चाहिए जैसे कि गीता में कहा गया है कि "हर मनुष्य को आत्ममंथन जरूर करना चाहिए ।"
फिर मैंने भी अर्जुन की तरह दृढ़ होकर अपने परिवार के तीखे बाणों का सामना करा और जीवन में सफलता प्राप्त की जिस प्रकार अर्जुन ने युद्ध में सफलता प्राप्त की।
इस प्रकार गीता हमें संदेश देती है कि जब सारे दरवाजे बंद हो और प्रकाश की एक किरण भी दिखाई नहीं दे तब एक उम्मीद का दीया भी सारे जग को रोशन कर सकता है,
अर्थात हमें अपना कर्म करते हुए गंतव्य पथ पर आगे बढ़ता रहता चाहिए क्योंकि जहां चाह होती है वहीं राह मिलती है।