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Chandresh Chhatlani

Drama

5.0  

Chandresh Chhatlani

Drama

लहराता खिलौना

लहराता खिलौना

2 mins
319


देश के संविधान दिवस का उत्सव समाप्त कर एक नेता ने अपने घर के अंदर कदम रखा ही था कि उसके सात-आठ वर्षीय बेटे ने खिलौने वाली बन्दूक उस पर तान दी और कहा

"डैडी, मुझे कुछ पूछना है।"

नेता अपने चिर-परिचित अंदाज़ में मुस्कुराते हुए बोला, "पूछो बेटे।"

"ये रिपब्लिक-डे क्या होता है?"

बेटे ने प्रश्न दागा।

सुनते ही संविधान दिवस के उत्सव में कुछ अवांछित लोगों द्वारा लगाये गए नारों के दर्द ने नेता के होंठों की मुस्कराहट को भेद दिया और नेता ने गहरी सांस भरते हुए कहा,

"हमें पब्लिक के पास बार-बार जाना चाहिये, यह हमें याद दिलाने का दिन होता है रि-पब्लिक डे..."

"ओके डैडी और उसमें झंडे का क्या काम होता है?"

बेटे ने बन्दूक तानी हुई ही थी।

नेता ने उत्तर दिया,

"जैसे आपने यह गन उठा रखी है, वैसे ही हमें झंडा उठाना पड़ता है।"

"डैडी, मुझे भी झंडा खरीद कर दो... नहीं तो मैं आपको गोली से मार दूंगा"

बेटे का स्वर पहले की अपेक्षा अधिक तीक्ष्ण था।

नेता चौंका और बेटे को डाँटते हुए कहा,

"ये कौन सिखाता है आपको? बन्दूक अच्छी नहीं लगती मेरे बेटे के हाथ में।"

और उसने वहीँ खड़े ड्राईवर को कुछ लाने का इशारा कर अपने बेटे के हाथ से बन्दूक छीनते हुए आगे कहा,

“अब आप गन से नहीं खेलोगे, झंडा मंगवाया है, उससे खेलो।”

कहते हुए नेता बिना पीछे देखे सधे हुए क़दमों से अंदर चला गया।


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