Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

डॉली अग्रवाल

Drama Romance Tragedy

1.5  

डॉली अग्रवाल

Drama Romance Tragedy

झुठलाते से एहसास

झुठलाते से एहसास

3 mins
638


कल रात तुम आये थे! कितना असहज सी हो गयी थी, पल दो पल को ! जानती हूँ जरूर कोई वजह रही होगी ! पूछुंगी तो कहोगे नहीं , इसलिए चुप रही ! एक कप चाय पी कर जाने को उठे तो छिपा नही सके चश्मे के पीछे छिपी बोझिल सी आँखों को ओर मैं उस एहसास को ढूढने में जो तुम्हे मुझ तक खींच लाया था ! सुनो कह क्यो नही देते - ?

ज्यो ही जाने को कदम बाहर की ओर बढ़े एकदम से बोल उठी - सुनो आज रात यहीं रुक जाओ ना , शायद तुम खुद भी रुकना चाहते थे इसलिए ठिठक गए ! मुड़ कर दो पल को आँखों में देखा और सीढियां चढ़ छत पर बिछी आराम कुर्सी पर पसर गए ! तुम्हारे पीछे पीछे मैं भी चली आई थी वही जीने की ड्योढ़ी पर बैठे तुम्हे एकटक देख रही थी ! इसका तुम्हे भान नही था शायद !

आकाश की तरफ मुह कर तुम चाँद को देखते रहे फिर बेचैन हो सिगरेट जला कर ऊपर की तरफ धुँए के छल्ले बनाकर उड़ाते रहे !उदासी पसरी थी और तुम अजीब सी कशमकश में खुद से लड़ रहे थे ! अचानक से तुम्हे जैसे कुछ याद आया हो ! जेब से पर्स निकाल कर उसमें लगी फ़ोटो को देख कर दो आँसू तुम्हारे गाल पर लुढ़क आये ! और मैं तड़प उठी , इतना दर्द ? उफ़्फ़फ़

तुमने फ़ोटो को होंठो से छुआ ओर देखते देखते उसके टुकड़े कर दिये ! कुछ समझ ना पाई ! आखिर क्या चल रहा था तुमहारे अंतर्मन में ! हल्का सा हिली तो चूड़ियां बज उठी और तुम्हे मेरे होने का एहसास हो गया ! तस्वीर के टुकड़ों को मुट्ठी में कस लिया कि कही में देख ना लू ! पलट कर बोले -- सुनो मुझे जाना होगा ! हूँ आता कहकर तेज़ी से सीढियां उतर कर दरवाजा खोल चले गए ! ओर मैं निढाल सी खड़ी रह गयी !

मन सयंत कर कुर्सी को छुआ तो झूठे से एहसास फिर से जाग गए ! लिपट गयी कुर्सी से ! क्यो ? आखिर क्यो तुम कुछ बोल नही पाए ! कौन सा दर्द था जिसे तुम पी रहे थे ! नीचे पड़े सिगरेट को मुह से लगा लिया उस बेचैनी को महसूस करने के लिए !आँख बंद कर पड़ी रही छत की जमी पर !

खामोशी वक्त की चादर ओढ़ कर मुस्कुरा रही थी !!

नीचे आते हुए अचानक से नजर एक टुकड़े पर पड़ी शायद बन्द मुट्ठी से फिसल गया था ! जल्दी से उठा कर जैसे ही नजरे पड़ी पैर लड़खड़ा गए वो मेरी ही तस्वीर का टुकड़ा था ! उफ़्फ़ क्यों --- क्यों नहीं कह पाए तुम ? कह तो मैं भी नहीं सकी थी ! दोनो ही एकदूसरे के एहसास में डूबे रहे और झुठलाते रहे ! ये क्या हो गया ! लेकिन तुम जा चुके थे कभी ना लौट कर आने के लिये ये उस पाती से पता चला जो तुम जाते हुए पायदान पर रख गए थे !

सुनो

मन वैरागी हो गया है अब , तुम्हे पाया नही तो खोया भी नही है ! जा रहा हू हमेशा के लिए इस एहसास के साथ कि तुम मेरी हो ! और हमेशा रहोगी , परछाई बनकर !!

काश ! तुमने एक बार कहा होता तो मैं परछाई नहीं तुम्हारा हिस्सा होती !!

इश्क अधूरा ही रहा ----- अपने अक्षर की तरह


Rate this content
Log in

More hindi story from डॉली अग्रवाल

Similar hindi story from Drama