बेटी की कलम से पिता को नमन
बेटी की कलम से पिता को नमन
आज सुबह जब अखबार में "एक पिता द्वारा अपनी छोटी सी बच्ची को मार दिया गया" समाचार पर नजर गई तो अनायास मैं अतीत में चली गई कि एक यह पिता है, और एक मेरे पापा है जिन्होंने हमारी जिंदगी के लिए कितना कुछ किया , सन् 1980 की बात है जब मैं अपने पापा, मम्मी और भाई के साथ एक घर में खुशी से जीवन बिता रही थी पर अचानक पापा चल बसे उस समय मैं मात्र 7 साल की थी। हंसते खेलते जीवन में अचानक से काले बादल मंडराने लगे। दादा जी ने हमारा घर हथिया लिया और हमें घर से बाहर निकाल दिया। मैं, मेरा भाई और मेरी मम्मी हम मामा के यहां रहने लगे जो दादा जी के घर से कुछ ही दूरी पर था और हमारा सारा सामान भी उनके पास ही था मैं अक्सर सुबह जरूरत का सामान लेने दादा जी के घर पर जाती थी उस समय तब सभी अपने काम में लगे हुए होते लेकिन चाचा जी कितने भी व्यस्त होते वह मुझसे बात करते, खाने के लिए पूछते पर मैं वहां से हां या ना में जवाब देकर अपना सामान लेकर आ जाती । शायद अंदर कुछ टूटता जा रहा था। उस समय मम्मी बहुत बीमार और दुखी रहने लगी थी, मुझसे यह सब बर्दाश्त नहीं होता था। मैं चुपचाप आस-पास के माहौल को देख रही थी। एक दिन मैंने अपनी मामी को पूछा कि क्या चाचा जी हमारे पापा नहीं बन सकते ? शायद यह बात भगवान ने सुन ली घटनाक्रम कुछ इस तरह से चला कि मेरे चाचा जी की पहले से ही सगाई हो चुकी थी लेकिन उन्होंने अपनी सगाई तोड़ दी और मेरे नानाजी से मेरी मम्मी से शादी करने के लिए आज्ञा मांगी क्योंकि मेरे दादाजी तो हमें घर से निकाल ही चुके थे और दो छोटे बच्चों के साथ जीवन बिताना उस समय आसान नहीं होता था एक विधवा की जिंदगी 40 साल पहले क्या होती थी? शायद बताने की आवश्यकता नहीं है। हमारी अच्छी जिंदगी के लिए हमारे चाचा ने इतना बड़ा कदम उठाने की सोची।
एक दिन मैं और मेरा भाई स्कूल से वापस आए तो घर में मम्मी को नहीं देखा। मामी से पूछा तो मामी ने बोला, "दादा जी के घर पर हैं" जब मैं वहां गई तो मैंने देखा, चाचा की मम्मी के साथ शादी हो गई थी, मुझे बहुत खुशी हुई कि हमें हमारे पापा मिल गए तब से लेकर आज तक पापा ने अपने हर फर्ज़ को निभाया और हमारा बहुत ही प्यार से पालन पोषण किया। मेरी शादी के इतने साल बाद भी जब मैं इस बारे में सोचती हूं तो मेरा मन श्रद्धा से भर जाता है और पापा के एक साहसिक कदम से हमारी जिंदगी संवर गई। सच में ऐसा कदम उठाना हर किसी के बस की बात नहीं है उनके एक कदम ने हमारी जिंदगी का रुख ही बदल दिया।