फटा हुआ ईमान
फटा हुआ ईमान
ऑफिस का काम निबटा कर शाम को विश्वास घर की ओर चल पड़ा. अचानक जोर-जोर से चोर-चोर की आवाज आने लगी,एक जेबकतरा पकड़ा गया था, बीबी के नखरों ,ऑफिस के झगड़ों और जीवन के रगड़ों से परेशान लोगो को अपनी हताशा से निपटने का मौका मिला। जम के कुटाई हुई जेब कतरे की. लगभग मरी हुई सी हालत में उसे रोड पे फेककर सब चल पड़े फिर से बीबी के नखरों ,ऑफिस के झगड़ों और जीवन के रगड़ों से भिड़ने के लिए.
रात हो चली थी, लगभग मरी हुई सी हालत में जेबकतरा रोड पे पड़ा हुआ था .विश्वास को जेबकतरे पे दया आ गई. उसने जेबकतरे को कंधे का सहारा देकर उठाया , पानी पिलाया और रोड के पार पहुँचा दिया. जेब कतरे ने विश्वास का बड़ा धन्यवाद दिया. कहा , गरीब होना बहुत बड़ी सजा है,जेब काटना थोड़े ही अच्छा लगता है,उसपर पीटने का रिस्क अलग।
खैर विश्वास अपने रास्ते चल पड़ा. रास्ते में सब्जी मंडी से सब्जी ली और भुगतान के लिए ज्यों हीं अपने जेब में हाथ डाला, जेब मिली ही नहीं. उसकी जेब कट चुकी थी. आश्चर्यचकित होकर विश्वास कभी अपनी फटी हुई जेब देखता कभी जेबकतरे का ईमान।