अनकही दास्तान (पार्ट-1)
अनकही दास्तान (पार्ट-1)
"विकास, तेरे ऊपर दस रूपए मेरी बाॅल के और बीस रूपए इन्ट्रेस्ट, कुल मिलाकर तीस रुपए हो गए हैं। यदि तूने कल पूरे तीस रूपए नहीं दिए तो मैं कल तेरा स्कूल बैग छीन लूँगा।"
आठ वर्षीय विकास को उसी के हमउम्र, लेकिन उससे हष्ट-पुष्ट छात्र ने सख्त लहजे में चेतावनी दी तो विकास घबरा गया और उस छात्र से गिड़गिड़ाकर बोला-
"बबलू भाई, मैं कल इतने पैसे कहाँ से लाऊँगा ?"
"ये तुम्हें मेरी बाॅल गुम करने से पहले सोचना था। तू कल इज्जत से मेरे पैसे दे देना, नहीं तो मैं तेरा वो हाल करूँगा जो तू सोच भी नहीं सकता।"
बबलू ने सख्त लहजे में जवाब दिया।
"ओए, तू क्या कर लेगा इसका ? इसे हाथ तो लगाकर बता, मैं तेरा वो हाल करूँगी कि तेरी सात पुश्ते भी किसी को सताने की हिम्मत नहीं कर पाएगी।"
विकास के साथ खड़ी उसकी सहपाठी निकिता ने शेरनी की तरह गुर्राकर बबलू को चेतावनी दी।
"ये निक्की, तू बीच में मत आ, नहीं तो....?"
"क्या कर लेगा बे ?"
कहकर निकिता ने बबलू की काॅलर पकड़ ली।
"ये निक्की, प्लीज इसको छोड़ दे। ये बहुत खतरनाक लड़का हैं, तू इससे मत उलझ।"
विकास ने निकिता से बबलू की काॅलर छुड़ाकर उसे समझाने का प्रयास किया।
"अरे, इसकी तो ....।"
"निक्की, तू मेरे साथ चल तो...प्लीज। मैं बताता हूँ न तुझे अपनी मजबूरी।"
"विक्की, तूने कोई गलत काम किया क्या ?"
"नहीं निक्की, मैं कोई गलत काम कर सकता हूँ क्या ?"
"तो तू इससे डरता क्यूँ हैं ? मुझे छोड़ तो सही, मैं इसका वो हाल करूँगी कि वो जिदंगी भर याद रखेगा।"
"निक्की, तू मेरी बात तो समझ। मुझे इसके पैसे देने हैं, इसलिए मैं इसकी बद्तमीजी बर्दाश्त कर रहा हूँ।"
"अरे, तुझे मेरे रहते हुए इससे कर्ज लेने की जरूरत क्या थीं ? पैसे की जरूरत थीं तो मुझसे बोल देता। मैं तुझे अपना गुल्लक फोड़ के देती थी।"
"निक्की, तू अभी जा। मैं कल तुझे मेरी मजबूरी कल सुबह बताऊँगा। अभी तू जा।"
"नहीं, मैं तुझे साथ लिए बिना नहीं जाऊंगी। तू मेरे साथ चल।"
"बबलू भाई, मैं तुझसे कल मिलूंगा।"
"कल मेरे पैसे .....।"
"ओए, तू धमकी मत दे नहीं तो... ?"
निकिता, बबलू की बात काटकर गुर्राकर बोली तो बबलू सहम गया। इसके बाद विकास इशारों में बबलू से कुछ वादा करके निकिता को साथ लेकर निकल गया।