अनकही दास्तान पार्ट-5

अनकही दास्तान पार्ट-5

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"तेरा स्कूल छोड़कर जाना कैंसिल नहीं हो सकता क्या ?" विकास ने आशाभरी निगाहों से निक्की के चेहरे को देखते हुए पूछा।

"नहीं, क्योंकि पापा का ट्रांसफर कैंसिल होने की कोई पासिब्लिटी नहीं बची और पापा यहाँ से दूसरी जगह जाएँगे तो मुझे और मेरी मम्मी को भी उनके साथ जाना पड़ेगा।" निक्की ने बेहद उदास स्वर में जवाब दिया।

"निक्की, मेरा तेरे बिना स्कूल में मन नहीं लगेगा।"

"मुझे भी दूसरे स्कूल में अच्छा नहीं लगेगा, क्योंकि तू वहाँ मेरे साथ नहीं होगा, पर हम कुछ कर भी तो नहीं सकते।"

"तू वो पीपल के पेड़ के पास वाले मंदिर के भगवान जी से प्रे क्यों नहीं करती, वे तो तेरी हर विश पूरी करते हैं न ?"

"हाँ, पर इस बार उन्होंने मेरी ये विश पूरी नहीं की। जबसे पापा के ट्रांसफर के बारे में सुना हैं, तभी से उनसे रोज आते-जाते मन में प्रे कर रही हूँ पर शायद वे मेरी ये विश पूरी नहीं करना चाहते हैं या फिर उनके लिए मेरी ये विश पूरी करना पाॅसिबल नहीं हैं।

"तू चली जाएगी तो मुझे भी ये स्कूल छोड़कर किसी और स्कूल में एडमिशन लेना पड़ेगा, क्योंकि तू नहीं रहेगी तो बबलू, उससे वापस लिए पैसों की वजह से मेरा जीना मुश्किल कर देगा।"

"तुझे उस मोटे के डर से स्कूल छोड़कर जाने की जरूरत नहीं हैं। मैंने आज सुबह ही निहारिका मिस से तेरी केयर करने के लिए कह दिया है। वे तुझे घर से अपने साथ लेकर भी आएगी और यहाँ से तुझे साथ ले जाकर घर भी छोड़ दिया करेंगी। वे तेरे घर के सामने से ही आती-जाती हैं न, इसलिए उन्हें तुझे साथ लाने-ले जाने में कोई प्राॅब्लम भी नहीं होगी।"

"हाँ, वे जनरली आती-जाती तो मेरे ही घर के सामने है, बट कभी-कभी वे मेरे घर के पीछे वाली शार्टकट से भी आ जाती हैं।"

"हाँ, बट डोंट वरी, अब वे हमेशा तेरे घर के सामने से ही आयेंगी-जायेंगी।"

"ठीक है, पर फिर भी मुझे तेरे बिना अच्छा नहीं लगेगा।"

"तू रोनी सूरत बनाकर यही बात बार-बार मत रिपीट कर, अदरवाइज मुझे भी रोना आ जाएगा।"

"तुझे भी रोना आता है ?"

"कभी-कभी।"

"मुझे लगा कि तुझे नहीं आता होगा, इसलिए अपनी प्राॅब्लम बता रहा था, पर अब नहीं बताऊँगा क्योंकि मम्मा कहती हैं कि किसी दोस्त या रिलेटिव्ज से अपनी ऐसी प्राॅब्लम शेयर नहीं करनी चाहिए, जिनका उनके पास कोई साॅलुशन न हो, क्योंकि हमारी प्राॅब्लम साॅल्व भी नहीं होती है और उन्हें बेवजह दुख भी पहुँचता है। अब तेरा जाना फाइनल हो गया है न, तो खुशी-खुशी चली जा। मैं निहारिका मिस की हेल्प से अपनी केयर कर लूँगा।"

"मेरे साथ न होने की वजह से रोएगा तो नहीं न ?"

"नहीं।"

"डेली लंच करेगा न ?"

"हाँ।"

"गुड ब्वाय।"

"निक्की, तू मुझे फोन तो करेगी न ?"

"हाँ बाबा, मुझे भी तुझसे बात किए बिना अच्छा थोड़ी ही लगेगा।"

"अब बाकी की बातें हम छुट्टी के बाद करेंगे। अब क्लासरूम चलते हैं, वैशाली मिस का पीरियड स्टार्ट होने वाला है। वो हमसे पहले क्लासरूम में पहुँच गई तो आसमान सिर पर उठा लेगी।"

निक्की की बात सुनकर विकास बिना कुछ कहे अपना गमगीन चेहरा लिए उसके साथ क्लासरूम की ओर चल पड़ा।

...........

"अरे विकास, तुम इधर कहाँ जा रहे हो ?" अपने सामने खड़ी तेईस-चौबीस साल की नवयुवती की बात सुनकर नन्हे विकास के कदम थम गए।

"मिस, मैं आपके घर ही आ रहा था ?" विकास ने अपनी नजरें ऊपर उठाकर सवाल करने वाली नवयुवती की ओर देखते हुए जवाब दिया।

"क्यूँ ?"

"मुझे लगा कि आपका मुझे साथ लेकर जाने का आज फर्स्ट डे है, इसलिए कहीं आप मुझे साथ ले जाने की बात भूलकर शार्टकट से चली गई तो मैं आज स्कूल नहीं जा पाऊँगा।"

"ओह ! तो मेरा क्यूट बेबी इस वजह से मेरे घर आ रहा था। बेटा, मेरी मेमोरी इतनी कमजोर नहीं हैं कि मैं तुम्हें साथ ले जाना भूल जाती। अब ये बात अपने दिमाग में फिक्स कर लो कि मैं कभी भी तुम्हें साथ लिए बिना स्कूल नहीं जाऊँगी।"

"और स्कूल से घर .....?"

"स्कूल से घर भी साथ लेकर आ आया करूँगी, हैप्पी नाऊ ?"

"यस मिस।"

"लाओ, अब बैग मुझे दो और मेरे साथ चलो।"

"नो मिस, मुझे बैग कैरी करने की हैबिट है।"

"ठीक है, बैग अपने पास ही रहने दो, पर अपना बास्केट मुझे दे दो।"

"नो मिस, ये भी मैं ले जाऊँगा, आप बस स्कूल तक मेरे साथ रहिए।"

"डोंट वरी, मैं स्कूल में भी तुम पर ध्यान दूँगी, अब हम लोग चलें ?"

"यस मिस।" कहकर विकास अपनी टीचर के साथ चल पड़ा।

"विकास, मेरी एक बात मानोगे ?" चलते-चलते विकास की टीचर ने उससे पूछा।

"बोलिए ..?"

"तुम बबलू से डरना बंद कर दो। मुझे तुम्हें उससे प्रोटेक्ट करने में कोई प्राॅब्लम नहीं हैं, बट दूसरों पर डिपेंडेंसी अच्छी हैबिट नहीं हैं। तुम अपनी प्रोटक्शन के लिए कल तक निक्की पर डिपेंड रहे, वो स्कूल छोड़कर चली गई तो अब मुझ पर डिपेंड हो गए और मैं स्कूल छोड़ दूँगी तो कोई और आॅप्सन ढूँढोंगे। बेटा, ये लाइफ में मिलने वाले बुरे लोगों को काउंटर करने का सही तरीका नहीं हैं। इस टाइप के बुरे लोग तो हर कदम पर मिलते रहते हैं और हम हर समय तो एक बाॅडीगार्ड साथ लेकर चल नहीं सकते, इसलिए जरूरी है कि हम इतने ब्रेव बन जाए कि इस टाइप के बुरे लोगों को अकेले ही हैंडल कर सके। आर यू एग्री मी ?"

"यस मिस, बट मुझे नहीं लगता कि मैं कभी इतना ब्रेव बन पाऊँगा।"

"तुम एक ब्रेव माँ के बेटे होकर ऐसी बात कैसे कर सकते हो ?"

"मैं एक ब्रेव माँ का बेटा जरूर हूँ पर मैं अपनी मम्मा जैसा बिलकुल भी नहीं हूँ। मैं तो बिलकुल अपने पापा जैसा हूँ।"

"कौन कहता है ऐसा ?"

"मेरे बड़े पापा और बड़ी मम्मी।"

"ओह ! यानि उनका अपने स्वार्थ के लिए तुम्हारे पापा को कान्फिडेंसलेस बनाकर मन नहीं भरा और वो लोग तुम्हें भी अपने पापा जैसा बनाकर तुम्हारा भी यूज करना चाहते हैं ? प्लान तो बहुत शानदार हैं, लेकिन तुम लोगों का ये प्लान सक्सेज नहीं होगा, क्योंकि तुम लोगों की बदकिस्मती से ये बच्चा अब निहारिका के ट्रेनिंग कैम्प में आ चुका हैं।"

"मिस, आपने मुझसे कुछ कहा ?"

"नहीं, मैं खुद से बातें कर रही थी।"

"मैं भी कभी-कभी खुद से बातें करता हूँ।"

"यानी, हम दोनों के अंदर एक अजीब-सी आदत तो एक जैसी है। अब ये बताओ कि तुम्हारे अंदर और कौन-कौन सी स्ट्रैंज हैबिट्स है जो जनरली लोगों के अंदर नहीं होती, ताकि मुझे पता तो चले कि हम दोनों की कौन-कौन सी हेबिट्स सेम टू सेम है।"

"मैं अकेला होता हूँ तो बैट लेकर घर के बड़े शीशे के सामने बड़े-बड़े शाॅट खेलने की एक्टिंग करता हूँ और कुछ देर बाद बैट उठाकर ऐसे सेलिब्रेट करता हूँ जैसे बैट्समैन सेंचुरी पूरी करने पर करते हैं।"

"और ?"

"और मेरा फिक्शनल मैच पूरा होने पर खुद को मैन आॅफ द मैच देकर अपना इंटरव्यू भी लेता हूँ।"

"नाइस, मैं भी घर पर अकेली होती हूँ तो ऐसा कुछ करती हूँ। मैं कभी आईएएस आॅफिसर और पब्लिक बनकर प्राॅब्लम सुनने और साॅल्व करने का खेल खेलती हूँ और कभी झाँसी की रानी बनकर अंग्रेजो के साथ लड़ती हूँ।"

"हम दोनों की आदतें कितनी मिलती-जुलती हैं न ?"

"हाँ, इसलिए मुझे लगता है कि हम दोनों को एक-दूसरे के साथ दोस्ती कर लेनी चाहिए। इस बारे में तुम्हारा क्या कहना है ?"

"मैं आपके साथ दोस्ती करने से मना कर दूँगा तो आपको बुरा लगेगा न ?"

"बिलकुल नहीं, बट तुम मेरे साथ दोस्ती क्यूँ नहीं करना चाहते हो ? मैं तुम्हारी टीचर हूँ इसलिए या फिर तुमसे उम्र में काफी बड़ी इसलिए ?"

"ये दोनों वजह सही नहीं हैं। मैंने तो अपनी दादी तक से दोस्ती कर ली थी।"

"तो फिर मुझसे दोस्ती न करने की क्या वजह हैं ? कहीं ऐसा तो नहीं कि मैं तुम्हें पसंद नहीं हूँ इसलिए तुम मुझसे दोस्ती नहीं करना चाहते ?"

"नो मिस, आप तो मेरी फेवरेट टीचर है।"

"तो बेटा, फिर क्या वजह है ?"

"एक्चुअली बात ये है कि मैं जिस किसी से भी फ्रेंडशीप करता हूँ वो मुझे छोड़कर चला जाता है। मैंने लास्ट यीअर के फ्रेंडशीप डे पर अपनी दादी के साथ फ्रेंडशीप की तो वो थोड़े दिन बाद ही मुझे छोड़कर चली गई और इसके बाद इस यीअर के फ्रेंडशीप डे पर मैंने निक्की से फ्रेंडशीप की थी तो वो भी कल छोड़कर चली गई, इसलिए मुझे लगता है कि मैंने आपके साथ फ्रेंडशीप की तो आप भी मुझे छोड़कर चली जाएगी और मैं आपका साथ खोना नहीं चाहता।"

"ओह हो, तो लिटिल मास्टर इस वजह से मेरे साथ दोस्ती करने से डर रहे हैं कि वो मुझसे दोस्ती करने पर मेरा साथ खो देंगे ?"

"यस मिस।"

"और मैं तुमसे प्राॅमिज़ करूँ कि मुझसे दोस्ती करने पर भी तुम्हें मेरा साथ नहीं खोना पड़ेगा तो ?"

"तो मुझे आपसे दोस्ती करने में कोई प्राॅब्लम नहीं है।"

"तो फिर दोस्ती के लिए बढ़ाओ अपना हाथ।"

"आप बड़े हैं, इसलिए आप पहले अपना हाथ बढ़ाइए।"

"लगता हैं, जनाब हर काम के किसी न किसी रूल्स के एकार्डिंग हीं करते हैं। निहारिका, कहीं तू इससे फ्रेंडशीप करके कोई गलती तो नहीं कर रही हैं ?"

"आपने कुछ कहा मिस ?"

"नहीं। लो, मैंने अपना हाथ बढ़ा दिया।" कहकर निहारिका ने अपने कदमों को ब्रेक लगाकर विकास के सामने अपना हाथ बढ़ा दिया, जिसे विकास ने खुशी-खुशी थाम लिया।


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