Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Gita Parihar

Children

4  

Gita Parihar

Children

बचपन की शरारत भरी यादें

बचपन की शरारत भरी यादें

4 mins
515


50 वर्ष पहले मैं लगभग डूब ही गई थी। जगह थी बाण गंगा नदी का किनारा,जम्मू। हम वैष्णो देवी दर्शन के लिए गए थे। मेरे मकान मालिक का परिवार दर्शन के लिए जा रहा था। उनकी दो बेटियां थीं जो मेरी हम उम्र थीं, तो मैं भी उनके साथ गई थी।तब बसें दर्शन स्थल तक नहीं जाती थीं।बहुत लंबा घुमावदार रास्ता पैदल तय करना होता था,अथवा पिट्ठू की सवारी होती थी।हमें कहा गया कि यहां के पत्थरों में भी ईश्वरीय शक्ति है।आप एक के ऊपर एक जितने पत्थर रखो,भविष्य में उतने मंजिल का मकान होगा आपका, हां,पत्थर गिरने नहीं चाहिए। बचपना इतना था कि एक बार नहीं ,न जाने कितनी बार रुक - रुक कर पत्थरों को 10 से 12 इससे कम नहीं, जमाने की कोशिश करते रहे , डिंग मारते , कि भई,इससे छोटे मकान में हमें नहीं रहना!

दूसरी सुबह 4:00 बजे हम लोगों को झिंझोड़कर उठाया गया। अब माता के दरबार में दर्शन करने के लिए जाना है तो नहा कर ही जाना था। हम तीनों नहाने का बहाना बना कर बड़े से स्नान घर में आ गईं ,पानी छिड़ककर कुछ देर अंदर बिता कर कपड़े बदल कर बाहर आ गईं। डर भी लग रहा था, माता कहीं दंड न दे दें।अब लाइन लगी माता के दरबार के दर्शन करने की। बहुत स्पष्ट तो याद नहीं है ,फिर भी जितना याद है, कहा गया था सिर पहले अंदर करके गुफा में प्रवेश करना चाहिए,पैैर पहले अंदर नहीं डालना चाहिएं। इस सिर और पैर का संतुलन बनाए रखने के चक्कर में मैं अंदर गिर पड़ी, संभलने के प्रयास में दर्शनार्थियों के पैर और टांगे हीमेरे हाथ में आ रही थीं। माता के जयकारे से पूरी गुफा गूंज रही थी, जिसमें मेरी आवाज भी कहां सुनाई देती !जैसे -तैसे किसी ने शायद सहारा दिया,उठ कर खड़ी हुई ।आगे जाकर पुजारी जी को चढ़ावा दिया को और हम तीनों बाहर निकल आए।


 फिर एक गुफा है जिसके अंदर घुटनों के बल प्रवेश करना और दूसरी ओर से निकलना होता है।मान्यता यह है कि अगर आपने पाप किए होंगे तो आप फंस जाएंगे, वरना निकल आएंगे। बचपन के दिन भी क्या होते हैं, हमने गुफा में घुसने को खेल बना लिया, इधर से निकलते, उधर से घुसते। खैर, जब सभी बड़े दर्शन करके आए तो यह हुआ कि नदी के किनारे बैठा जाए और नाश्ता किया जाए।अब तक धूप निकल आई थी। साथ आए कुछ जोशीले भैया लोगों ने कहा पहले नदी में नहाने का आनंद लिया जाए और वे नदी में कूद पड़े। उनकी देखा- देखी मेरे मकान मालिक की लड़कियां भी पानी में उतर गईं, वह मुझे भी कहने लगीं, आ जाओ। मगर मुझे पानी से डर लगता था , मैं किनारे खड़ी थी, कुछ देर तक तो वह मुझ पर पानी छिड़कती रहीं।अचानक पता नहीं उनमें से किस ने मुझे अपनी और खींचा या पीछे से किसी ने धक्का मारा, और मैं सिर के बल पानी में थी!मुझे तैरना तो आता नहीं था, सीधे सिर के बल पानी के अंदर चली गई, ऊपर आने के लिए मैंने हाथ-पांव पाव मारना शुरू किया। ऐसा लग रहा था ,ऑक्सीजन की कमी से मेरे फेफड़े फट जाएंगे ,चारों तरफ कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। मैं तो कभी छिछले पानी में भी नहीं उतरी थी! मेरा दम घुटा जा रहा था, पैरों में पहने हुए सैंडल और कपड़ों का बोझ जैसे शरीर पर हावी हो रहा था। आंखों के आगे सब धुंधला हो रहा था, लग रहा था मौत सामने खड़ी थी ।नदी पता नहीं कितनी गहरी थी, यह सब कुछ ज्यादा नहीं।शायद 1 मिनट या उससे कम यह रहा हो, किंतु डूबने का एहसास डूब जाने से अधिक भयावना होता है,यह महसूस किया!

 मेरा मस्तिष्क तो काम कर रहा था, शरीर साथ नहीं दे रहा था, लग रहा था कि मेरे साथ जो हो रहा है, मैं उसकी दर्शक बन गई हूं और कुछ कर नहीं पा रही हूं। मेरे हाथ- पैर भरपूर कोशिश के बाद भी मेरा साथ नहीं दे रहे थे। धीरे -धीरे मेरी चेतना मेरा साथ छोड़ने लगी। मुझे शांति महसूस हो रही थी क्योंकि होश खोने के बाद ही होश आता है।

 भाग्यशाली हैं तो आप दूसरों को किस्सा सुनाने के लिए बच जाते हैं...बस।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Children