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सपनों की होम डिलीवरी

सपनों की होम डिलीवरी

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सभी के जीवन का महतवपूर्ण वह दिन, जो कुछ लोगो के जीवन में इस तरह आता है, मानो कोई पर्व हो! यूँ तो ये सालभर में एक बार आता है पर मुझे लगता था वो साथ है तो जन्मदिन आये ही नहीं! उम्र का तकाज़ा दे जाता था जन्मदिन!!! और कभी ऐसी खुशी भी ना मिली जैसी दिल ने चाही। फिर ये पर्व जैसी खुशी का एहसास कैसे हो गया?

उसने तो कभी एहसास भी न करवाया, जन्मदिन के दिन कितनी खुशी, कितने एहसास, हम साथ बाँट सकते थे! परन्तु ऐसा कभी न हुआ, और ना ही उसने कभी ऐसा एहसास करवाया की जन्मदिन एक विशेष दिन है, इस दिन सब कुछ भूल कर खुश रहो, मैंने तो पुरज़ोर कोशिश की थी, और किया भी था, फिर भी उसने मेरे लिए कभी कुछ नही सोचा!!!

वो व्यक्ति जो जीवन में खुशी के रंग भर दे, और वह जीवन को विशेष ना बनाये थोड़ा दुःख तो होता है, पर सच में यदि सोचा जाये तो थोड़ा ही क्यों बहुत मन विचलित होता है! यही कुछ हम कर जाये तो? अरे!!! छोड़ो उनको फर्क नहीं पड़ता, बहुत

से लोग है उनसे मिलने के लिए, मेरी कमी से उसे कुछ महसूस नहीं होगा!!

खैर!! बात पिछले वर्ष की है जन्मदिन था मेरा, जब मैं ऑफिस पहुँची यकायक मुझे आँखों पर विश्वास न हुआ ये सब क्या? अरे!! देखो तो हर कोई देखता चला गया, ओहो!! तो आज मैडम का जन्मदिन है , विस्मित स्तब्ध सी स्तिथि थी मेरी!!

पर सच बताऊ।.... हाँ सच में यही चाहती थी मैं की कोई हो ऐसा हो मुझे भी साधारण से आसाधारण महसूस करवा दे, मानो खुशी का ठिकाना ही ना रहा हो चारों तरफ गुब्बारे कागज़ के रिब्बन वाली लड़ी आहा!!! ऐसा अद्भुत नज़ारा बस दिल खुश हो जाये!!

सहसा! ये एहसास हुआ किसने किया होगा? कौन महानुभाव होंगे? जिसने हमे शेष से विशेष बनाया होगा! मन में विचार कौंधा कहीं उसने तो नही? भीतर ही भीतर मन ने चुटकी ली वो कभी नही करेगा बल्कि सोच ही नहीं सकता! हास्यपद सी कुछ सहमी सी परन्तु एक उल्लास जैसी तरंगे अभी भी मन को विचलित कर रही थी आखिर कौन?

अंततः पता चला अरे ये तो अपना साथी निकला ऑफिस का ! वाह उसने ऐसा किया, आँखे भर आयी! कोई किसी क लिए कैसे इतना कुछ कर सकता है? वो भी तब जब आपकी उनसे कोई उम्मीद न बंधी हो, जिनसे उम्मीद बाँधी जाती है वही तोड़ के आगे निकल जाते है ! जीवन के सबसे बड़े खिलाड़ी तो वही है, मैं तो अनाड़ी ही रह गयी!!

खैर!! छोड़िये, जो हर्षोउल्लास की स्तिथि थी उसने तो दिल में जगह कर ली थी! पूछने पर पता चला उसे बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा था, उन सब से निकल कर, ये सब साज सजावट का मौका उसे मिला था पर ये सब उसने मेरे लिए कर लिया!

जन्मदिन पर किसी के इतने अच्छे उपहार मिलने के बाद तो शायद सब भूल जाना चाहिए था, परन्तु मैं शायद कहीं खो जाती, बीच-बीच में, अंततः उसने मेरी चुप्पी को तोड़ा, हमेशा यही करता है-उठो बालिके!! जागो जो चला गया उसे जाने दो, नए जीवन का आगमन है, उसे स्वीकार करो!! सच्चे दोस्त शायद इसी को कहते है, जो आपको हर खुशी देने के लिए तत्पर रहे, और शायद यही था मेरा सबसे अच्छा जन्मदिन का उपहार!!! और इसमें कोई संदेह नहीं, कि मेरे जन्मदिन पर जो भी उसने किया, वह वास्तव में मेरे सपनो की होम डिलीवरी ही तो थी!!!


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