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Harishh Kumar

Romance

3  

Harishh Kumar

Romance

बारिश

बारिश

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सुबह का वक़्त है, तेज़ हवा चल रही है और बारिश, बारिश हो रही है। मैंने माँ को आवाज़ लगाई-

ईशान- ममम...माँ, बारिश हो रही है, मैं जल्दी निकल रहा हूँ।

माँ- नाश्ता तो पूरा करता जा।

(और मैं निकल गया। अपने बारे में तो मैंने बताया ही नहीं, मेरा नाम ईशान है। मुझे गाने गाना और स्केचिंग बहुत पसंद है। खेलकूद में भी अच्छा हूँ मैं, मुझे सबसे ज्यादा पसंद मेंरे घर से थोड़ी दूर पर एक झील पर समय बिताना है और मुझे बारिश के मौसम से प्यार है या फिर हो गया है।)

मैं उस झील तक पंहुचा और आज फिर खाली पड़ी बेंच को देखा, मैं चलते हुए बेंच के पास गया और बैठ गया और अपनी बुक निकाल ली। पर मेरी आँखें किसी को ढूंढ रही थी।

पन्नो को पलटते पलटते एक पन्ने पर आँखे रुक सी गयी, दिमाग में उस से जुडी यादें चलने लगे, नहींं दौड़ने लगी…..


टीचर- यू थर्ड बेंच लास्ट सीट, व्हाट इस दी डिफरेंस बिटवीन स्पीड एंड वेलोसिटी ? 

मैं कुछ बोलने की कोशिश करते हुए।

टीचर- डीइस्टेन्स और डिस्प्लेसमेंट ? 

मैं कुछ बोलने की कोशिश करते हुए। 

टीचर- वेक्टर और स्केलर ? 

ईशान- ससस…सर

टीचर- पढ़ने तो आते नहीं हो तुम, बाहर निकल जाओ। 

सब बच्चे हँसने लगे और कुछ जोर जोर से।

(लंच के समय)

ईशान- आरव, ममम…मत लड़ाई कर, जाने दे ऊऊ..उनको, छछ…..छोड़ दे भाई।

आरव- तू पीछे हट आज इसको सबक सिखा ही देता हूँ।

(मैं आरव को दूर करते हुए कुछ लड़कों से, और आरव एक को मार देता है। मैं आरव को खींचकर पीछे ले आता हूँ। एक आवाज़ आती है- लेजा, इसे हकले।)

हम दोनों ग्राउंड की एक बेंच पे बैठे है।

आरव- तू झेलता कैसे है इन सबको, और क्लास में आंसर क्यों नहीं दिया तू?

ईशान- ककोशिश तो कर ररर…रहा था इतने में बाहर निकाल दिया उसने।

आरव- यह प्रफुल का तो मुंह तोड़ दूंगा मैं अगर अगली बार उसने कुछ बोला तो तुझे या मज़ाक उड़ाया।

ईशान- जाने दे न भाई, वो कौन सा अअ..अपना है वो। उसकी बब.. बातो पे ध्यान नहीं देता मैं। 

और हँसते हुए- गलत क्या बोलता है वो, हह…हकला ही तो बोलता है। अगर हकलाता ना होता तो आंसर आते हुए कक….क्लास से बहार थोड़ी निकाला जाता।

आरव- चुप हो जा।

और दोनों हँसने लगते है।

( तभी मैं ग्राउंड के दूसरे तरफ देखता हूँ और मुस्कुराने लगता हूँ। और शर्माने भी।)

आरव- कब तक ऐसी ही शर्मायेगा? अच्छा सुन छाता तो मैं ले आया पर तू करेगा क्या?

ईशान- अआ….आज अपुन कुछ डड…डेरिंग करेगा।

आरव- बस पंगे न ले लेना, चल चलते है खाना खा लेते है और तू वो रैप सुनायेगा अभी।

ईशान- हा चच…चल।


(स्कूल का लास्ट पीरियड है और बारिश शुरू। मैं जानता था बारिश होगी पिछले चार सालों से जो हो रही है आज के दिन, उसका बर्थडे है आज। हर्षिका का बर्थडे है आज। स्कूल ख़त्म हो गया सब घर जाने लगे है, कुछ बारिश में भीगते हुए, कुछ खेलते हुए और कुछ पेड़ो और शेड के नीचे छुपते हुए खुद को बारिश की बूंदों से बचाते हुए। हर्षिका भी एक शेड के नीचे खड़ी है और मैं आस पास के लोगो का हटने का इंतज़ार कर रहा हूं।)

(हर्षिका यह नाम सुन के ही मेरे चेहरे पर मुस्कान आ जाती है, दिल खुश सा हो जाता। आरव हमेशा चिढ़ाता हैं मुझे। हर्षिका के लंबे बाल, बड़ी बड़ी आँखे, छोटी सी नाक और प्यारी सी मुस्कान है। वो दूसरे सेक्शन में पढ़ती थी आज भी याद है जब चार साल पहले वो इस स्कूल में आये थी। मेरा और उसका कभी आमना सामना नहीं हुआ। बस एक बार बोतल से खेलते समय वो बोतले उसके पैर पे जा लगी थी, 

और उसने कहा था- “देख के खेलों, प्लीज।”

बस उसके बाद से हम एक दूसरे से कभी नहीं टकराये। और मैं हरजगह उसके आगे पीछे घूमता।)


पर आज उसका बर्थडे है और मैं बहुत हिम्मत करके उस से कुछ कहने चाहता हूँ, बोलना चाहता हूँ की कितनी पसंद है मुझे वो। किसी मूवी में भी देखा था, बारिश हो रही होती है लड़की के पास छाता नहीं होता वो बारिश में भीग रही होती है, लड़का छाता लेकर उसके पास पहुंचता है, कुछ जादुई लाइनें बोलता है, उसको कॉफ़ी के लिए पूछता है, वो हाँ कह देती है और आगे वो अच्छे दोस्त बन जाते है। तब से उस मूवी को रोज़ देखता हूँ, तैयारी बहुत हो गयी है और इस दिन का भी बहुत इंतज़ार था। पर आज प्रैक्टिकल की घड़ी थी। और एक सरप्राइज भी उसके लिए।

हर्षिका अकेली खड़ी है, मैं उसके पास पहुचता हूँ। उसको फूल देते हुए बोलता हूं।

ईशान- हहहह...हाई हहहह…हर्षिका, हैप्पी बब..बर्थडे।

(दिमाग में तो मेनी मेनी हैप्पी रिटर्न्स ऑफ़ द डे बोलने का सोचा था पर शब्द निकले नहीं। दिल इतनी जोर जोर से धड़क रहा था कि उसकी आवाज़ मुझे सुनाई दे रही थी। शायद उसे भी सुनाई दे रही हो।)

हर्षिका- थैंक यू वैरी मच।

ईशान- मैं तुमसे ककक…कुछ और भी ककक…कहना चाहता हूँ। ममम…मैं तुम्हे बहुत पपप..पसंद करता हूँ। तुम मम..मुझे बहुत अच्छी लल्ल..लगती हो। कक..क्या तुम मेरे साथ ककक…कॉफ़ी पीने चच…चलोगी?

हर्षिका- थैंक यू, की मैं तुम्हे अच्छी लगती हूँ। वो तो सब को लगती हूँ, इसमें नया क्या है? और रही बात ककक…कॉफी पीने की तो तुम्हारे साथ तो मैं नहीं जा रही। कॉफ़ी तो ढंग से बोल लो पहले।

(मैंने सोचा फिर से अच्छे से दोबारा पूछता हूँ बिना रुके)

ईशान- कक..क्या तुम मेरे साथ ककक…कॉफी पीने चच.. चलोगो?

हर्षिका- नहीं चलूंगी। मेरे बाकी दोस्त क्या बोलेंगे हकले के साथ कॉफ़ी पीने गयी थी मैं। आई एम नॉट गोइंग तो फेस द इंसुल्ट।

(मैं हँसते हुए।)

ईशान- हकला वो तो मुझे भी पता है, इसमें नया क्या है कुछ नया हो तो बताओ।


(और मैं वहां से दूर चलने लगा और पीछे मुड़कर नहीं देखा जब तक स्कूल की गली ख़त्म नहीं हुई। मैं घर पंहुचा और सीधा अपने कमरे में चला गया, दरवाज़ा बंद किया चादर ओढ़ी और मेरे आँखों से आंसू बहने लगे, मैं उनको रोक नहीं पा रहा था। पहली बार मुझे अपने इस हकलेपन पे गुस्सा आ रहा था, क्योंकि किसी ऐसे ने मुझसे ये कहा जिसे मैं अपना मानता था, मेरा दिल रोने लगा था।

क्या मैंने आपको बताया मैं पढाई में औसत से ऊपर हूँ, अच्छा गाता भी हूँ, अलग अलग भाषाएं याद कर लेता हूँ उनमे गा भी लेता हूँ,स्केचिंग बहुत अच्छी करता हूँ, स्पोर्ट्स में अच्छा हूँ। पर ये किसी को नहीं दिखता। क्या मैंने आप सभी को बताया कि मैं हकलाता हूँ? हां हां , हां मैं हकलाता हूँ। पर क्या वो मेरे हाथ में है? क्या मैं चाहता हूँ की मैं ऐसे बोलू? तो फिर लोग मुझे ऐसे क्यों बोलते है, क्यों चिढ़ाते है?? मैंने अपनी स्केच बुक निकाली और गुस्से में उसे फाड़ने लगा। फिर जिस पन्ने पे उसका स्केच था जिसे में उसे आज गिफ्ट करना चाहता था वो न फाड़ पाया और उसे हाथ में लेकर सो गया।)


हर्षिका के जन्मदिन को बीते एक साल हो चुका है। अब मैं शांत से हो गया हूँ किसी से ज्यादा बोलता नहीं। सिर्फ घर से स्कूल और स्कूल से घर। और वो झील जहाँ अपना ज्यादातर समय बिताता हूँ।


आज भी बारिश हो रही है और मैं स्कूल नहीं गया अपनी साइकिल उठायी, स्केच बुक ली, रेनकोट पहना और झील की तरफ चल दिया।

वहा पहुँच कर मैं स्केचिंग करने लगा। उस बेंच पर भी कोई और आकर बैठा ऐसा मुझे लगा पर मैंने ध्यान दिया। मैंने अपना स्केच पूरा किया और मैं घर की और निकलने लगा। तभी मुझे कुछ सुनाई दिया।

“हलकी सी बिजली कड़कने की आवाज़, ये गरजते हुए बादल, ये प्यार बन के बरसती हुई बारिश, अगर ऐसा हमेशा भी चलता रहा तो क्या तुम हमेशा मेरे साथ रहोगे??”

मैंने बगल में देखा तो एक लड़की मुझसे यह कहते हुए दूर जा रही थी।

मैंने उसे आवाज़ दी पर वो बारिश में कही गायब हो गयी। बगल में पड़ी मेरी स्केच बुक में उसका स्केच खुला हुआ था। मानो मुझे देख कर मुस्कुरा रहा हो और यह मुझे ही देख कर बार बार पूछ रही हो।


“हलकी सी बिजली कड़कने की आवाज़, ये गरजते हुए बादल, ये प्यार बन के बरसती हुई बारिश, अगर ऐसा हमेशा भी चलता रहा तो क्या तुम हमेशा मेरे साथ रहोगे??”


“हलकी सी बिजली कड़कने की आवाज़, ये गरजते हुए बादल, ये प्यार बन के बरसती हुई बारिश, अगर ऐसा हमेशा भी चलता रहा तो क्या तुम हमेशा मेरे साथ रहोगे??”


ये शब्द मेरे दिमाग में घूमने लगे। मैं वापस घर आ गया पर दिमाग अभी भी वही अटका था।

मैंने स्केच बुक उठाई और उस स्केच के नीचे कुछ लाइनें लिख दी।


अगले दिन फिर उस बारिश में झील पर पंहुचा और उस लड़की को ढूंढने लगा। क्या बताऊँ मैं, कितना ढूंढ रही थी मेरी आँखें उसे। होठ जो उस से कुछ कहना चाहता था और दिल जो उन लाइनो को पढ़कर सुनाना चाहता था। मैंने हर जगह ढूंढा पर मुझे कोई न मिला।


तबसे हर बारिश के दिन उस झील पर बैठ कर उसका इंतज़ार करता हूँ की शायद आज वो फिर आएगी और मैं उस से सब कुछ कह पाउँगा।


(वर्तमान का दिन)

आज ही के दिन मुझे वो आवाज़ पहली बार सुनाई दी थी और बारिश में वो लड़की गायब हो गयी थी। मैं उस स्केच बुक के उस पन्ने पर बने स्केच को बड़े ध्यान से देख रहा हूँ और जोर से वो लाइनें पढ़ने लगता हूँ।

“चाहे हलकी सी बिजली कड़कने की आवाज़ या फिर तेज़ , ये गरजते हुए बादल कम गरजे या ज्यादा। ये प्यार बन के बरसती हुई बारिश अगर रुक भी गयी, फिर भी मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा, हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा।”


बार बार इन लाइनो को पढ़ता रहा पता भी नहीं चला कब बारिश बंद हो गयी। मैंने अपनी स्केचबुक रखी बैग उठाया और घर की और चल दिया ।


( मेरे मन में मुझे कही न कही पता था कि कौन है वो। मैं समझ चुका था कि ये मेरी यादे थी जो इस कहानी को कुछ ऐसे देखना चाहती थी। हर बारिश में ऐसे यहाँ आकर बैठना और उसे ढूँढना अच्छा लगता था। ये बारिश हमेशा मुझे उसकी याद दिलाती थी। पिछली बातों को मैं बिलकुल भूल चुका था और कही न कही कहानी को इस तरीके से जीना मुझे भी पसंद था।)


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