ऋण माफी
ऋण माफी
ट्रेक्टर बैंक के सामने आकर रूका, रूप थैला संभाल कर नीचे उतरा और बैंक में घुसा। सीधा बैंक मैनेजर के सामने कुर्सी खींच कर बैठा और थैले में से छह-सात लोन की पास बुक जिसमें कुछ परिवार के सदस्यों की और कुछ बंटाईदारों की मेज पर रख कर बोला, "मैनेजर जी, देखो इन खातों में कितनी छूट आयी है।" लोन लेने के बाद रूपा ने बैंक में आज कदम रखा था। खाता एन.पी.ए. होने पर कई नोटिस भेजे, तकादा करने मैनेजर और लोन अधिकारी कई बार रूपा के घर गये लेकिन रूपा ने मन बना रखा था न चुकाने का। एक बार तो रूपा ने मैनेजर की सरेआम फजीह़त कर दी, बोला, "आइन्दा मेरे घर मत आना, तुम्हें जो करना हो कर लेना।"
मैनेजर ने सभी खातों का हिसाब जोड़ कर बताया, 'करीबन पंद्रह लाख की छूट मिलेगी। ' रूपा बोला, "हिसाब ठीक से जोड़ लेना, गलती रह गयी तो हाथ पैर जोड़ोगे तो भी नहीं छोड़ूँगा।" रूपा पाँच सौ बिगा, छ: ट्यूब बेल का इज्जतदार किसान जिसकी पूरे महकमों में खूब चलती थी। मैनेजर ने गर्दन हिला कर स्वीकारोक्ति दी।
रूपा के पीछे रामू अपनी लोन पास बुक लिये खड़ा था जिसने इस साल लाला से दो दिन के लिए दो लाख रूपये दो हजार ब्याज कर खाता पलटी किया था। जब भी कोई बैंक से तकादा करने उसके घर जाता तब बेचारा जल्दी से खाट चौक में बिछाता और हाथ जोड़कर खड़ा हो जाता था। रिराते हुये मुँह पर आतुरता लिये कहता, "साहब फसल खराब हो गयी और साथ ही घरवाली भी बीमार चल रही है फिर भी खाता पलटी जरूर करवाऊँगा, कोई कार्रवाई मत करना, गाँव में इज्जत चली जायेगी ।"
रामू की पास बुक देख कर मैनेजर बोला, "रामू तुम्हारा खाता तो सही चल रहा है, तुम्हें कोई छूट नहीं मिलेगी। " रामू हाथ जोड़े खड़ा था और दिल रोने को हो रहा था। मैनेजर भी सोच रहा था कि जरूर उससे कोई पाप हुआ है।