सब माया है
सब माया है
सब माया है
थोडी तेरी
थोडी मेरी
थोडी बाहर
कितनी अंदर
यही पर है
सब माया है
कुछ गोरी
कुछ काली
कभी हसाती
सदा रुलाती
मन मोहीनी
सब माया है
घुमती घुमाती
नखरेवाली
चक्कर खाते हम
वो निकल जाती है
सब माया है
चंचल भागती
रुके ना कही
साथ ना दे
आगे आगे वो
हम पीछे भागे
सब माया है
माशूका से कम नही
पर वो ना किसीकी
फिर भी आशीक सभी
चाहत सबकी, है चहीती
जानते सभी
पर मानता ना कोई
क्योंकी ये तो
सब माया है...!