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Neha Thakkar

Abstract

4.5  

Neha Thakkar

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ज़िंदगी है बयान कुछ लफ़्ज़ों मे

ज़िंदगी है बयान कुछ लफ़्ज़ों मे

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ऐ ज़िंदगी तू क्या है, आ कुछ लफ़्ज़ों में बयां कर लू;
कुछ हसीं लम्हों की यादो को आज फिर अपनी आँखों में भर लू

कभी रिमजिम बारीश की बहार है तू,
तो कभी मेघ्धनुष के रंगो पे सवार है तू;

कभी कुछ लम्हे तू यु लाए मन चाहे उसमे हम भीग जाए , 
खुशियों के पल कुछ यु चुराए की वो पल हमसे कही दूर न जाए;

कभी बेरंग से पलों में सवाल है तू
तो कभी दर्द भरे सपनों का खयाल है तू;

कभी कुछ लम्हे तू यु लाए 
की हर तरफ अंधेरा ही नज़र आए,
ना खुद पे भी यकीं हम कर पाए
ना कही किरन रोशनी की नज़र आए;

ऐ ज़िंदगी तू क्या है, आ कुछ लफ़्ज़ों में बयां कर लू;
कुछ गमगीन पलों के साये को 
आज अपनी आँखों से दूर कर लू

क्योंकि,
है आज अंधेरा तो कल होगा सवेरा
इसी विश्वास का जवाब है तू;
जितना मैने जाना तुझे ऐ ज़िंदगी लाज़वाब है तू। 


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