बचपन
बचपन
आज अचानक पुरानी अलमारी की चाबी हाथ लगी,
खोला तो अंदर बचपन बिखरा हुआ मिला,
कुछ खिलौनों में, किताबों में
उधरी-चिथरी यादों में।
सब कुछ देखकर वापस कैद कर दिया बचपन को,
यादों को, ख़्वाबों को ,
बचकाने सवालों के जवाबों को।
चाबी फ़ेंक दी यूँ ही की फिर कभी मेरे हाँथ में न हो,
मेरी फिर कभी खुदसे दोबारा मुलाक़ात न हो।