दर्द
दर्द
दर्द शब्द खुद मे इतना दर्द पूर्ण है की क्या कहूँ
न जाने कहाँ से ज़िन्दगी में आ जाता है दर्द
क्यों मन को इस कदर दुखाता है दर्द
आँखों से लहू बन कर बहता है दर्द
पन्नो पर शब्द बन कर बिखर जाता है दर्द
दिल को बहुत दुखाता है यह दर्द
बेगाने क्या अपने भी दे जाते है दर्द
हँसी में भी दबे पाँव आ जाता है दर्द
हर पल अपने होने का एहसास दिलाता है दर्द
साँसों मे क्या अब तो धडकनों मे भी बस गया है दर्द
न जाने कहाँ से ज़िन्दगी में आ जाता है दर्द .