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आसमाँ झुके नहीं

आसमाँ झुके नहीं

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ये आसमाँ झुके नहीं परंतु लोग हैं झुके हुए

सागर भी सोचता, आसमाँ से मिले हुए

सूरज और चाँदनी देखते आसमाँ-सागर कहीं दूर से।

ओ मेरे हृदय की आत्मा

देखो मेरे दिल की दौलत और मोहब्बत

क्या है अपने दिल की विश

पूछेंगे मेरे आत्मा राम को।

मैं ढूंढ रहा हूँ दिल की रानी को

कहाँ से कहाँ गया मेरा दिलवर

आसमाँ में नहीं, सागर में नहीं

सूरज में नहीं, चाँदनी में नहीं।

मैं क्या बताऊँ और क्या कहूँ

मेरे दिल को ख़ुशी मिल गई

दिल को आवाज़ मिल गई आसमान में

आत्मा चली गई अप्सरा के महल में।

सोचता मैं गया काम से

सुनाथा मेरे दिल की आवाज़ को

पूछा था मेरे आत्मा राम को

पता करो मेरे महबूब के दिल का।

आया हूँ अब मेरी दुनिया में

ख्वाब गया, और सुबह सूरज निकला

ढूंढते मेरे महबूब को

कहीं मिल जायेगा मेरे लिए इस दुनिया में।


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