अब डर नहीं लगता
अब डर नहीं लगता
अब डर नहीं लगता,
किसी के दूर जाने का।
अब दिल नहीं करता,
किसी से जुड़ जाने का।।
पास आता है जो,
चला जाता है वो।
दूर रहता है जो,
पास रहता बस वो।।
जब जाना हो दूर,
तो पास आते क्यों लोग।
जब होना है जुदा ,
तो दिल जोड़ते क्यों लोग।।
ना समझ पाई,
इस किस्मत को मैं।
प्यार देती भी वो,
छीनती भी वो।।
लोग कहते हैं,
सब होता है अच्छे के लिए।
कोई हमसे भी पूछ लो,
क्या है अच्छा हमारे लिए।।
अब डर नहीं लगता,
किसी के दूर चले जाने का।
अब मन नहीं करता,
किसी से दिल लगाने का।।
जब एक दिन,
सबको जाना है।
तो क्यों किसी से,
फिर दिल लगाना है।।
दिल लगाया,
तो चले जाएँगे दूर।
जो ना लगाया,
तो रहेंगे महफूज़।।
चलो अब ये भी,
अपनाकर देख लेते हैं।
जुदा करके सबको,
साथ रख लेते हैं।।
ना जाने,
क्या खता हुई है हमसे।
जो दूर हुए,
सब अपने हमसे।।
अब इस खता की,
सजा भी भुगत लेते हैं।
दूर अपनों से,
जीने कि कोशिश कर लेते हैं।।
अब डर नहीं लगता,
किसी के दूर जाने का।
अब दिल नहीं करता,
किसी से जुड़ जाने का।।
माना था तुझे,
मैंने अपना सगा।
तूने तो कर दिया,
मुझे खुद से ही जुदा।।
शुक्रगुजार हूँ तेरी,
अब तो मैं।
सीख गई सहना,
सब दर्द जो मैं।।
शिकायत नहीं,
पर एक सवाल है तुझसे।
एक बार तो बता दे,
क्या खता हुई हमसे।।
जो तू थी साथ,
लगती थी ये दुनिया एक ख्वाब।
जो तू हुई जुदा,
बन गई मेरी खुशियाँ एक ख्वाब।।
अब डर नहीं लगता,
किसी के दूर चले जाने का।
अब मन नहीं करता,
किसी से दिल लगाने का।।
पर डरता है मन,
कहीं जुड़ ना जाए ये दिल।
अब ताक़त नहीं मुझमें,
के भूल पाऊँ कोई पल।।
भुला नहीं पाई हूँ,
तेरी यादों को अब तक।
ढूँढती हूँ खुशियाँ,
जो जोड़े मुझे तुझ तक।।
इस बेज़ान जिंदगी में,
आज भी हँसी आती है।
जब तेरी याद मेरे,
दिल को आती है।।
दूर ही सही,
तू खुश रहना हमेशा।
दुआओं में मेरी,
तू रहेगी हमेशा।।
अब डर नहीं लगता,
किसी के दूर जाने का।
अब दिल नहीं करता,
किसी से जुड़ जाने का।।
मिलते हैं लोग,
हर मोड़ पे अब।
पर नहीं मिलती वो ख़ुशी,
उन लोगो के संग।।
कोशिश करके भी,
हार जाती हूँ।
चाह के भी,
तुझे ना भुला पाती हूँ।।
मैं तो हूँ मजबूर,
पर ये दिल तो नहीं।
ना जानू मैं हूँ गलत,
या ये दिल है सही।।
दिल मासूम ही सही,
पर मुझसे है बहादूर।
देखता है राह,
आज भी तेरे वापस आने का।।
तेरे वापस जाने का।।