माता-पिता
माता-पिता
माँ के आँचल में हैं अनोखा जन्नत,
उस जननी को तू कभी रुला मत।
पिता के आशीष में हैं सुनहरी चमकती किस्मत,
उस विधाता की तू कभी सता मत।
इनके बिना हैं हमारा जीवन अधूरा,
कोरा कागज़-सा लगता हैं इनके बिना।
इनके दुआ मैं हैं असीम शक्ति,
इनका करे हम पुरे मन से भक्ति।
श्री गणेश ने भी की थी इन्ही की पूजा,
माता-पिता के सिवा हैं कोई ना दूजा।
सदा अपने पलकों पे बिठा के रखा हैं,
कष्ट सहकर भी हर ख़ुशी का ख्याल रखा हैं।
माता-पिता को जानकार हम ईश से हैं परिचित,
पवन पुत्र की तरह इनकी तस्वीर मन मैं हैं स्तिथ।
इनके ऋण को चुकाना नहीं इतना आसान,
उनकी गरिमा बढ़ाओ, बढ़ाओ उनका सम्मान।
इनकी छाया रहे सदा हम पर यही हैं हमारी दुआ,
माता-पिता के सिवा हैं कोई न दूजा।