ढाई अक्षर
ढाई अक्षर
बारिश की पहली बूँद
और वो प्रेम की
पहली कोंपल
जो उग आई थी
इस दिल की
सीली ज़मीन पर
चाय की डेढ़ पत्ती की तरह...
जिसकी खुशबू
आज भी महकाती है
मेरी यादों का बागान
आह! वो प्रेम का प्रथम स्पर्श!
बारिश की पहली बूँद
और वो प्रेम की
पहली कोंपल
जो उग आई थी
इस दिल की
सीली ज़मीन पर
चाय की डेढ़ पत्ती की तरह...
जिसकी खुशबू
आज भी महकाती है
मेरी यादों का बागान
आह! वो प्रेम का प्रथम स्पर्श!