नैनों में प्यास
नैनों में प्यास
नैनों में प्यास भरने लगी हैं
मेरी आंखों से झरने लगी हैं।
लौट आओ अभी घर को भैया
माँ तुम्हें याद करने लगी हैं।
आया शायद बुढ़ापा मुझे भी
खुद से परछाई डरने लगी है।
याद तेरी सताने लगी है
यूं जुदाई में मरने लगी है।
कह ना पायीं 'उमा' ये ग़ज़ल क्यों ?
कोशिशें सारी हारने लगी हैं।