यारी
यारी
बना के मीत मन को
दगाबाजी कर गयी।
समर्पण प्राण भी मेरे
दोस्ताना जिन्दगी लुटायी।
वो मुस्कुराकर चल दिये
मेरी वफा पर, कफन ओढ़ाकर।
अब कहँ कान्हा और सुदामा
नही रही वैसी यारी।।
बना के मीत मन को
दगाबाजी कर गयी।
समर्पण प्राण भी मेरे
दोस्ताना जिन्दगी लुटायी।
वो मुस्कुराकर चल दिये
मेरी वफा पर, कफन ओढ़ाकर।
अब कहँ कान्हा और सुदामा
नही रही वैसी यारी।।