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Sudershan kumar sharma

Tragedy

4  

Sudershan kumar sharma

Tragedy

तूफान

तूफान

1 min
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दर्दों के तूफान छोड़ गए,

लोग चले गए,पर गांब छोड़ गए,कदम चल बसे‌

पर मकान छोड़ गए।


सता ड़ाला था भूखमरी और बदसलूकी ने,

दिल के अरमां छोड़ गए,चल बसे कुछ फासले दर्मियां

छोड़ गए।


ओढ कर मुकद्दर की चादर,बस्ती को सुनसान

छोड़ गए,बनके मेहमान चल दिए पर मकान छोड़

गए।


भला‌ न कर पाया कोई भी पड़ोसी,

वो लिखित ब्यान छोड़ गए,आखिर

घर सुनसान छोड़ गए।


पत्थरों से मार भगाया था‌

जिन्हें,पलटबार कर न‌ सके

पर पत्थरों के निशान छोड़ गए,चल बसे

पर मकान छोड़ गए।


साजिशें निकालने की रचीं थीं खूब,

पीछे नफरतों की दूकान छोड़

गए,चल बसे पर मकान छोड़ गए।


जाते,जाते कुछ नहीं बोला सुदर्शन, पर जिंदगी

भर के इल्जाम छोड़ गए,

लोग‌ चले‌ गए पर मकान छोड़ गए।


नहीं दिखता दोस्ती भाईचारा जब कहीं

परिन्दे भी मजबूरन

स्थान छोड़ गए,लोग

चल बसे‌ पर मकान छोड़ गए।


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