सैनिक की प्रेयसी की दीपावली
सैनिक की प्रेयसी की दीपावली
तुम नहीं हो संग
दीवाली कैसे मनाऊं
तुम बिन मेरे प्रियतम
देहरी कैसे सजाऊं।
रात-दिन फिक्र तुम्हारी
बेचैन मुझे कर देती है
तुम बिन तन्हाई मुझे
नागिन-सी डस लेती है।
जाने किस हाल में होंगे
सीमा पर तैनात तुम
देश की रक्षा की ख़ातिर
डटे हुए हे नाथ तुम
जीवन का ना लोभ तुम्हें
ना मोह तुम्हें घर-बार का
ना चिंता बच्चों की कोई
ना उल्लास कोई त्यौहार का
कोई बात नहीं प्रियतम
तुम जहाँ रहो बस कर्म करो
देश की सेवा की ख़ातिर
समर्पित जीवन-धर्म करो
बात युद्ध की हो जब तो
दुश्मन को मार भगाना तुम
कदम हटाना कभी न पीछे
सीने पर गोली खाना तुम
सैनिक की अर्द्धांगिनी हूँ
मैं दीपावली मनाऊंगी
तुम्हारी विजय की ख़ातिर
सौ दीये मैं जलाऊंगी।